32 लाख रूपये की लूट करने वाले बदमाशों का पकड़ने के लिये 300 सीसीटीवी तलाशे तब मिली कामयाबी, डीजीपी स्वयं नजर रखे हुए थे
ग्वालियर. ऑपरेशन स्विफ्ट -48 में पुलिस ने 31.63 लाख रूपये की लूट का सिर्फ 48 घंटे में ही खुलासा कर दिया। इसके लिये पुलिस ने अभी तक का सबसे बड़ा तलाशी अभियान प्लान किया था। 80 पुलिस अधिकारी और जवानों को मिलाकर लगभग 20 से अधिक टीम बनायी गयी। आरोपियों तक पहुंचने के लिये चलाये गये ऑपरेशन में स्वयं डीजीपी इन्वॉल्व हुए।
मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश के 14 से अधिक शहरों में पुलिस ने दविश दी। 4 स्पेशल टीम सिर्फ सीसीटीवी कैमरे देखकर बदमाशों कारूट और लोकेशन ट्रैस करने में लगी थी। तभी 12 घंटों में 300 से अधिक कैमरे चेक किये गये और पूरे सर्च ऑपरेशन की निगरानीआईजी, डीआईजी और एसएसपी धर्मवीर सिंह स्वयं करा रहे थे। इसी की बदौलत पुलिस को कामयाबी मिली और ‘ऑपरेशन स्विफ्ट -48’ कामयाब हो सका। 4 बदमाश गिरफ्तार कर लिये गये। उनसे 20 लाख रूपये जब्त हुए हैं। अभी तक एक लुटेरा समेत 3 आरोपी फरार है।
क्यों नाम दिया ‘ऑपरेशन स्विफ्ट -48’
अब सवाल खड़ा होता है कि इस ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन स्विफ्ट -48’ ही नाम क्यों दिया गया, कुछ और भी नाम दिया जा सकता था। दरअसल, स्विफ्ट-48 में स्विफ्ट का मीनिंग होता है जितनी जल्दी संभव हो उत्नी जल्दी किया जाने वाला कार्य। वहीं, 48 का मतलब 48 घंटे हैं। मतलब तेजी से 48 घंटे में इस पूरे लूटकांड का पर्दाफाश करने की मंशा से यह नाम ‘ऑपरेशन स्विफ्ट -48’ दिया गया था।
पुराना मैनेजर ही निकला लूट का मास्टरमाइंड
पुलिस ने 8 अगस्त को 4 बदमाशों को पकड़ा है। जिसमें लूट करने वाले तीन में से 2 विजय गुर्जर और दीपू उर्फ दीपक कुशवाह शामिल हैं, जबकि अन्य शिवम कुशवाह निवासी ग्वालियर और राहुल गुर्जर निवासी मुरैना है। शिवम कुशवाह 4 महीने पहले तक शराब कारोबारी के गोल पहाड़िया दुकान पर बतौर मैनेजर काम करता था। उसे काम से निकाल दिया था। उसे पता था कि सभी दुकानों का कलेक्शन चंदन नगर कारोबारी के घर जाता है और अगले दिन सुबह मुनीम यह कैश बैंक में जमा कराता है। मुनीम बहुत की कैजुअल है उसे आसानी से लूटा जा सकता है। इसके बाद उसने अपने रिश्तेदार दीपू कुशवाह को टिप दी और दीपू ने विशाल, विजय के साथ वारदात का खाका खींचा।

