अंतरिक्ष में की गयी पैकिंग, अनडॉकिंग, लैंडिंग, डॉल्फिन वेलकम, हैण्ड वेविंग और ग्रैविटी टच और बाहर आई सुनीता विलियम्स
नई दिल्ली. सुनीता विलियम्स 9 माह अंतरिक्ष में फंसे रहने के बाद 3 अंतरिक्ष यात्रियों के साथ सुरक्षित वापिस लौट आई है। यह वापिसी भारतीय समयानुसार सुबह 3.27 बजे पर हुई है। यह एक ऐतिहासिक पल है जो नासा और स्पेसएक्स की टीम की कड़ी मेहनत और समर्पण को दर्शाता है। फ्लोरिडा के समुद्र में सुनीता का ड्रैगन कैप्सूल उतरा।
यह कैप्सूल से जब सुनीता बाहर निकली तो उनके चेहरे पर खुशी और घर वापिसी का संतोष भाव था। समुद्र में स्पलैश डाउन से पहले नासा के अन्य कर्मचारी वोट से अंतरिक्ष यात्रियों को समुद्र में लेने के लिये पहुंचे थे। पैराशूट की मदद से स्पेस एक्स के ड्रैगन ने लैंडिेग की थी। स्पेसएक्स का ड्रैन कैप्सूल आज सुबह 3.27 बजे फ्लोरिडा के समुद्र तट पर स्प्लेश डाउन हुआ।
इसके बाद वहां पहले से मौजूद सेफ्टी टी ने रिकवरी शिप के माध्यम से एक -एक कर चारों अंतरिक्ष यात्रियों को यान से बाहर निकाला। इस बीच सबसे पहले क्रू-9 मिषन के कैप्टन निक हेग, रूस के अंतरिक्षयात्री एजेक्जेंडर गोबुर्ननोव, सुनीता विलियम्स और अंत में बुच ल्मिर बाहर आये। बाहर निकलते ही सुनीता विलियम्स ने सबको हाय किया। स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेंस क्राफ्ट में सवार होने के लिये सबसे पहले अंतरिक्ष यात्रियों ने प्रेशर सूट पहने। हैच बन्द किया गया और फिर हर तरह के लीकेज की जांच की गयी। इसके बाद अन डॉकिंग की प्रक्रिया शुरू हुई फिर स्पेस क्राफ्ट में डी ऑर्बिट बर्न शुरू हुआ। यह बर्न बुधवार की सुबह करीब 2.41 बजे हुआ।
इसके तहत इंजन को फायर किया गया। इससे स्पेसक्राफ्ट धरती के और नजदीक पहुंचा। अनडॉकिंग से पहले स्पेस क्राफ्ट के अन्दर लाइफ सपोर्ट सिस्टम कम्युनिकेशन और थ्रस्टर सिस्टम की वर्किंग को चेक किया गया। दूसरे चरण में स्पेसक्राफ्ट का लॉक खोला गया। इसमें स्पेसक्राफ्ट को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जोड़ने वाले जोड़ खोले जाते है। तीसरे चरण में अन डॉकिंग सिस्टम खुलने के बाद ही थ्रस्टर से स्पेस क्राफ्ट से आईएसएस से अलग किया गया।
थ्रस्टर दरअसल स्पेसक्राफ्ट की स्पीड और उसकी डायरेक्शन कंट्रोल करते है। चौथे चरण में अनडॉकिंग के बाद स्पेस क्राफ्ट की मॉनिटरिंग की गयी। अंतिम चरण में स्पेसक्राफ्ट पूरी तरह से आईएसएस से अलग होकर धरती के सफर पर निकल पड़ा। इसके बाद धरती की 18 हजार फीट की ऊंचाई पर सबसे पहले 2 ड्रैगन पैराशूट खुले और उसके बाद 6 हजार फीट की ऊंचाई पर मेन पैराशूट ओपन हुआ। जिससे ड्रैगन की पानी में कम स्पीड से लैडिंग हुई। स्पलैशडाउन पैराशूट के जरिये पहले कैप्सूल की समुद्र की लैंडिंग कराई गयी और फिर 10 मिनट तक इंतजार किया। सिक्योरिअी चेक के बाद ही कैप्सूल को खोला जाता है। अगर इसे तत्काल खोल दिया तो अन्दर और बाहर का तापमान अलग होने के कारण से गड़बड़ हो सकती है। इसलिये तापमान सामान्य होने तक सभी यात्री अन्दर ही थे।

