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बांधों की कैचमेंट क्षमता नहीं बढ़ा पाये जल संसाधन विभाग के अधिकारी, बांध पानी से लबालब फिर भी पेयजल की चिंता

ग्वालियर. इस बार वर्षा के मौसम में 100 वर्षो के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त हो गये। शहर में औसत वर्षा का कोटा 30 इंच है। जबकि पानी 61 इंच वर्षा। जिले के सभी बांध लबालब है फिर भी पानी की किल्लत है। जल संसाधान विभाग के अधिकारी बांधों का पानी बचाने सर्दियों में एक दिन छोड़कर पीने का पानी सप्लाई करने की तैयारी कर रहे हैं।
हालांकि फिलहाल जिला प्रशासन ने रोक दिया है। शहर के नजदीक 7 बांधों समेत आसपास के 12 बांध है। पानी का प्रबंधन ठीक नहीं है। इनमें 2 बांध आजादी के बाद बने हैं। शेष सभी एक सदी से अधिक पुराने हैं। पिछले 50 वर्षो में हमइन बांधों की क्षमता नहीं बढ़ा पाये है।
अधिकारियों और दबंगों का गठजोड़, बांधों के पानी से कर रहे हैं खेती
ग्वालियर सिटी के नजदीक इन बांधों में वर्षा का पानी भर भी जाये तो क्षेत्र के दबंग लोग पानी निकाल देते हैं। इसके बाद बांधों की जमीन पर ही खेती कर रहे हैं। बदले में जल संसाधन विभाग के अधिकारी अपने हाथ बचाने के लियूे इनसे बतौर जुर्माना नाम मात्र की रकम वसूल कर लेता है। अहम बात यह है कि गर्मियों में पानी की किल्लत के बाद इतना ही पानी ऊपरी बांधों से पानी लाने के लिये 10 करोड़ रूपये तक की राशि खर्च की जाती है।
पिछले डेढ़ दशक से शहर के लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। इस अवधि में हर साल बारिश कम होने की बात कहकर एक दिन छोड़कर सप्लाई शुरू कर दी जाती है। वर्ष 2008 और वर्ष 2017-18 में ककेटो और पेहसारी बांधों से पानी लाने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च भी किए गए। इस वर्ष औसत कोटे से दो गुना बारिश हुई तो अफसर बारिश के पानी को सहेज नहीं पाए, क्योंकि अब तक ऐसी कोई प्लानिंग ही नहीं की गई।

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