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पीएम नरेन्द्र मोदी बोले-नेहरू के समय विदेश नीति के नाम पर बड़ा खेल हुआ, राहुल पर मोदी ने किया कटाक्ष

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि दिल्ली में कुछ परिवार ऐसे हैं जिन्होंने परिवार के म्यूजियम बना रखे थे। हमने पीएम म्यूजियम बनाया है। हम संविधान को सर्वोपरि रखते हैं। जहर की राजनीति नहीं करते है। हम स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाते हैं। यह देश का दुर्भाग्य की बात है कि कुछ लोग अर्बन नक्सल की भाषा बोलते है। इंडियन स्टेट के खिलाफ लड़ाई की घोषणा करने वाले न संविधान की भावना को समझ सकते हैं। न देश की एकता को समझ सकते हैं। 7 दशक तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को संविधान के अधिकारों से वंचित रखा गया है।
यह संविधान और जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ भी अन्याय था। हमने आर्टिकल 370 की दीवार गिरा दी। अब वहां के लोगों को वह अधिकार मिल रहे हैं जो देशवासियों को अधिकार है।
‘तुष्टिकरण नहीं संतुष्टिकरण के रास्ते पर चल पड़े हैं…’, लोकसभा में बोले पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि संविधान को जेब में लेकर घूमने वाले, आपको पता नहीं है कि आपने मुस्लिम महिलाओं के साथ कितना अन्याय किया है।  हमने ट्रिपल तलाक खत्म कर उन्हें समान अधिकार देने का काम किया है, संविधान की भावना का सम्मान किया है।  जब जब NDA की सरकार रही है, हमने देश को आगे ले जाने का काम किया है। हम जब अलग मंत्रालय बनाते हैं तो पूर्वोत्तर के लिए बनाते हैं. आदिवासियों के लिए अलग मंत्रालय NDA ने बनाया. दक्षिण और पूर्वी क्षेत्र के राज्यों में बड़ी आबादी मत्स्य के क्षेत्र में काम करते है।  हमारी सरकार ने इसके लिए अलग मंत्रालय बनाया है।  समाज के दबे कुचले वंचित लोगों के अंदर एक सामर्थ्य होता है।  हमने स्किल मंत्रालय बनाया. देश में लोकतंत्र का पहला धर्म होता है कि हम सत्ता को सामान्य से सामान्य नागरिक तक अवसर मिले है। भारत के कोऑपरेटिव सेक्टर को और समृद्ध बनाने के लिए हमने अलग कोऑपरेटिव मंत्रालय बनाया. विजन क्या होता है, ये यहां पता चलता है।  जाति की बात करना कुछ लोगों के लिए फैशन बन गया है।  पिछले 30 साल से सदन में आने वाले ओबीसी सांसद दलगत भेदभाव से ऊपर उठकर OBC  कमीशन को संवैधानिक दर्जा देने की मांग कर रहे थे, जिन लोगों को आज जाति की बात में मलाई दिखती है, उनको 30 साल तक इस बात का ध्यान नहीं आया। हमने संवैधानिक दर्जा दिया. हर सेक्टर में एससी-एसटी, ओबीसी को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिले, उस दिशा में हमने बहुत मजबूती के साथ काम किया है।

देशवासियों के सामने सवाल रखना चाहता हूं, जरूर चिंतन करेंगे और चौराहे पर चर्चा करेंगे।  कोई बताए कि क्या एक ही समय में संसद में एससी वर्ग के एक ही परिवार के 3 सांसद कभी हुए हैं क्या. दूसरा सवाल पूछता हूं, कोई बताए कि क्या एक ही कालखंड में संसद में एसटी वर्ग के एक ही परिवार के तीन एमपी हुए हैं क्या. कुछ लोगों के वाणी और व्यवहार में कितना फर्क होता है, मेरे सवाल के जवाब में है। रात दिन का अंतर होता है. हम SC-ST  समाज को कैसे सशक्त कर रहे हैं, समाज में तनाव पैदा किए बिना एकता की भावना को बरकरार रखते हुए वंचितों का कल्याण कैसे किया जाता है, एक उदाहरण देता हूं. 2014 से पहले हमारे देश में मेडिकल कॉलेज की संख्या 387 थी, आज 780 है. मेडिकल कॉलेज बढ़े तो सीटें भी बढ़ीं. 2014 से पहले हमारे देश में एससी छात्रों की एमबीबीएस की सीट 7700 थी. 10 साल काम किया और आज संख्या बढ़कर 70 हजार एससी समाज के डॉक्टर्स की व्यवस्था की है, समाज में तनाव लाए बिना. 2014 के पहले एसटी छात्रों के लिए एमबीबीएस की सीटें 3800 थीं, ये बढ़कर लगभग 900 हो गई है. 2014 के पहले ओबीसी छात्रों के लिए 14 हजार से भी कम सीटें थी, ये 32 हजार के करीब हो गई है. पिछले 10 साल में हर हफ्ते एक नई यूनिवर्सिटी बनी है. हर दिन एक नई आईटीआई बनी है. हर दो दिन में एक नया कॉलेज खुला है. एससी-एसटी, ओबीसी युवाओं के लिए कितना इजाफा हुआ है. हम हर योजना के पीछे शत प्रतिशत लागू करने के लिए लगे हैं कि कोई भी लाभार्थी छूट न जाए. हम चाहते हैं कि जिसका हक है, उसको मिलना चाहिए. एक रुपया और 15 पैसे का खेल नहीं चल सकता. कुछ लोगों ने मॉडल ही ऐसा बनाया कि कुछ को दो और बाकियों को तड़पाओ और तुष्टिकरण, हमने रास्ता चुना है संतुष्टिकरण और उस रास्ते पर हम चले हैं. हर समाज, हर वर्ग के लोगों को जो उसके हक का है, उसको मिलना चाहिए. जब सौ प्रतिशत सैचुरेशन की बात करता हूं तो ये असल में सामाजिक न्याय और संविधान का सम्मान है।

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