बेदाग छवि के नेता थे अमरसिंह माहौर, जाने कैसे फंस गये फर्जी दस्तावेज नौटरी करने के आरोप में, माधवराव सिंधिया कांग्रेस में लेकर आये थे
ग्वालियर. कांग्रेस के कार्यकारी जिलाध्यक्ष अमरसिंह माहौर ने गुरूवार की दोपहर अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना के समय वह घर में अकेले थे। दमाद केशव चाय दुकान और बेटी कीर्ति जीवाजी विश्वविद्यालय गयी थी। बेटी शाम को 4 बजे वापिस घर लौटी थी। कमरा भीतर से बन्द था। उसने पति और रिश्तेदारों को फोन किया। वह पहुंचे तो कमरे का दरवाजा तोड़कर भीतर पहुंचे। देखा है कि अमर सिंह का शव फांसी पर लटका था।
दामाद केशव के अनुसार, अमरसिंह जमीन के नामांकन संबंधी फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोप में एफआईआर दर्ज होने से परेशान थे। वह ज्यादातर समय निवास पर ही रहते थे। फोन भी अक्सर बन्द ही रखते थे। माधवगंज थाने के नजदीक पानपत्ते की गोठ निवासी अमरसिंह पेश ने एडवोकेट थे। उनका कोई बेटा नहीं था। माधवगंज थाना टीआई प्रशांत शर्मा ने बताया कि घटनास्थल से सुसाइड नोट नहीं मिला है। परिवार के लोग फिलहाल बयान देने की स्थिति में नहीं है। इस कारण से पता नहीं चला सका है कि उन्होंने ऐसा कदम क्यों उठाया है।
बेदाग छवि के थे अमरसिंह माहौर
बेहटा चौकी प्रभारी रामचंद्र शर्मा ने बताया कि 26 नवम्बर को अदालत के आदेश पर पदमपुर खेरिया निवासी धारासिंह की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गयी थी। इसमें अमर सिंह के साथ प्रॉपर्टी डीलर संदीप सिंह चौहान को आरोपी बनाया गया था। मामले में संदीप ने लगभग 12 बीघा जमीन के नामांकन दस्तावेज नोटरी अमरसिंह के माध्यम से तैयार कराये थे। धारा सिंह का कहना था कि दस्तावेजन फर्जी थे। इस मामले में अमरसिंह को हाईकोर्ट से 1 लाख रूपये की सशर्त अग्रिम जमानत मिली थी। लेकिन घर पर एकत्रित लोग आपस में चर्चा कर रहे थे अमरसिंह बेदाग नेता थे उन पर आज तक कोई आरोप नहीं लगाया है। लेकिन जाने कैसे फर्जी दस्तावेजों की नोटरी में फंस गये।

