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सिंधिया को उनके ही गढ़ में कड़ी चुनौती देने कांग्रेस ने तानाबाना बुनना किया शुरू

ग्वालियर. कांग्रेस और उसके रणनीतिकार असमय सरकार गिरने के दर्द को भूले नहीं हैं और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को उन्हीं के गढ़ में घेरने के लिये ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का प्रदेश में सरकार बनाने के साथ सिंधिया के बगैर ग्वालियर-चंबल संभाग में सिंधिया के बगैर 2018 से अधिक सीटें जीतना हैं। इसके लिये कांग्रेस ने भाजपा के असंतुष्टों के लिये अपने दरवाजे खोल दिये हैं। कमलनाथ व दिग्विजय सिंह ने स्थानीय नेताओं के भाजपा के अंसतुष्टों पर नजर रखने के साथ संपर्क में रहने के निर्देश दिये हैं। सिंधिया के साथ गए नेताओं की वापसी किसी भी सूरत में नहीं हो सकती है। जो कार्यकर्ता वहां घुटन महसूस कर रहे हैं, उनकी वापसी के लिए कांग्रेस जरूर चुनाव के समय अपने दरवाजे खोल सकती है।

सरकार गिरने का दर्द नहीं भूलना
विधानसभा चुनाव का शंखनाद कमलनाथ व दिग्विजय सिंह ने ग्वालियर-चंबल विशेष मकसद के साथ किया। कमलनाथ ने संत रविदास जयंती समारोह में दिये भाषण में एक बार भी सिंधिया का नाम नहीं लिया। उनके निशाने पर शिवराज सरकार की विकास यात्रा थी। किंतु संकेतों में कार्यकर्ताओं को यह बात याद दिलाना नहीं भूले कि किस तरीके से कांग्रेस की सरकार गिरी थी। इस अपमान को हर कार्यकर्ताओं क याद रखकर आने वाले विधानसभा चुनाव पार्टी के हित में काम करना है। नगर प्रवास के दौरान कमलनाथ बगैर किसी बैरीकेट्स के कांग्रेसी नेताओं व कार्यकर्ताओं से मिल हैं। ताकि सिंधिया के जाने के बाद कार्यकर्ताओं को लीडरशिप की कमी महसूस नहीं हो। कमलनाथ ने सामाजिक संगठनों से सीधे मुलाकात कर उन्हें भरोसा दिलाया है कि प्रदेश में अगली सरकार कांग्रेस की बनेगी।

विश्वास जीतने के लिए मुलाकात भी कराओ
कमलनाथ ने स्थानीय नेताओं से कहा है कि कांग्रेस से सिंधिया के जाने के बाद भाजपा के टिकट वितरण के दौरान समीकरण गड़बड़ाएंगे और कुछ अंसतुष्ट होकर इधर-उधर जाने पर विचार करेंगे। असंतुष्ट बसपा के बजाय आप पार्टी की तरफ आकर्षित हो सकते हैं। क्योंकि बसपा का अब यहां कुछ बचा नहीं है। इनका आप में जाना कांग्रेस के लिये नुकसानदायक रहेगा। इसलिये इन अंसतुष्टों के संपर्क में रहे। और आवश्यकता पड़ने पर इनको मुलाकात के लिये भोपाल भी ला सकते हैं।

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