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MP मिशन 2023 की राह में कांटे बन सकते हैं भाजपा के कई दिग्गज

भोपाल. मध्य प्रदेश भाजपा में बदली हुई परिस्थितियां 2023 के विधानसभा चुनाव में अपनों से ही मुसीबत के संकेत दे रही है। जो चेहरे पार्टी में कभी कद्दावर माने जाते थे, कैबिनेट का हिस्सा थे, अब वही जीत के रास्ते पर कांटे बिछा सकते हैं। इन परिस्थितियों की जड़ में ज्योतिरादित्य सिंधिया का अपने समर्थकों सहित भाजपा ज्वाइन करना है। 2020 में सिंधिया और उनके समर्थकों के आने के बाद जिन सीटों पर उपचुनाव हुए, वहां भाजपा के पुराने चेहरों को मौका न मिलना मुश्किलें खड़ी कर सकता है। 2020 से अब तक की गतिविधियों पर सरसरी नजर डालें तो स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि भाजपा के मिशन-2023 की राह में पार्टी के ही कई दिग्गज और पूर्व मंत्री कांटे बिछा सकते हैं। कद्दावर मंत्री रहे जयंत मलैया की सीट हों या डॉ. गौरीशंकर शेजवार अथवा जयभान सिंह पवैया, ऐसे कई दिग्गज हैं, जिनकी परंपरागत सीटों पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से आए विधायक काबिज हो गए हैं।

मौजूदा विधायक होने के कारण जाहिर है कि भाजपा के पूर्व मंत्रियों और पूर्व विधायकों को 2023 में टिकट नहीं मिल पाएगा। ऐसे हालात में ये नेता भाजपा के लिए मुसीबत बन सकते हैं। सिंधिया समर्थकों के चलते अपनी पार्टी में पीछे धकेले गए इन नेताओं में कई ऐसे भी हैं जिनका अपना राजनीतिक भविष्य खतरे में दिखाई पड़ रहा है, तो कई वरिष्ठ नेताओं के सामने अपनी अगली पीढ़ी के लिए चिंता बढ़ गई है।

हालांकि ऐसे नेता सतही तौर पर पार्टी के साथ भले दिखाई पड़ रहे हों, लेकिन अंदरूनी तौर पर वह कैसे अपनी जगह बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं, इसका नमूना बीते दिनों हुए नगरीय निकाय चुनाव में देखने को मिला जिसमें ऐसे नेताओं के क्षेत्र में भाजपा को अनुकूल परिणाम नहीं मिले। इधर एक संभावना यह भी है कि कांग्रेस इन नेताओं पर डोरे डालकर चुनावी माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर सकती है। मध्य प्रदेश में दो दलीय सियासत के चलते कांग्रेस के टिकट पर भाजपा के असंतुष्ट दिग्गजों का आ जाना चौंकाने जैसा नहीं होगा।

 

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