मप्र में ट्यूशन फीस पर प्राइवेट स्कूलों की मनमानी खत्म, पाई-पाई का हिसाब देना होगा
भोपाल. मध्यप्रदेश में अब ट्यूशन फीस के नाम पर निजी स्कूलों की मनमानी नहीं चलेगी। स्कूल संचालकों को बताना होगा कि कोरोना काल के दौरान वह पहली से लेकर 12वीं तक के छात्रों से कितनी और किस मद जैसे खेलकूद, वार्षिक कार्यक्रम, लाइब्रेरी और सांस्कृतिक एक्टिविटी समेत अन्य तरह की फीस ले रहे हैं। इसकी पूरी जानकारी मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग को देना होगी।
शासन को यह जानकारी लेकर दो सप्ताह के अंदर ऑनलाइन जमा करना होगा। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस लिए जाने के पहले के आदेश को लेकर दिया है। जागृत पालक संघ मध्यप्रदेश ने इस संबंध में याचिका दायर की थी। सबसे बड़ी बात कि यह डबल बेंच का फाइनल आदेश है। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश सीधे सरकार को दिए हैं।
इस तरह समझें आदेश का महत्व
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है, स्कूलों को बताना होगा कि वह पालकों से जो फीस ले रहे हैं, वह किस किस मद में ले रहे हैं। उसके अलग-अलग हेड बताना होंगे। यह जानकारी स्कूलों से जिला शिक्षा समिति को लेना होगी इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग मप्र शासन को इस जानकारी को दो सप्ताह में वेबसाइट पर अपलोड करेगा। संघ के वकील अभिनव मल्होत्रा, मयंक क्षीरसागर और चंचल गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी।
पैरेंट्स की शिकायत 28 दिन में हल करना जरूरी
कोर्ट ने पालकों को राहत देते हुए कहा, किसी भी अभिभावक को स्कूल से कोई शिकायत है, तो वह जिला समिति के सामने अपनी बात रखेगा। समिति को 4 सप्ताह (28 दिन) में इसका निराकरण करना होगा। पूर्व में पालकों के द्वारा की जाने वाली शिकायत पर जिला प्रशासन गंभीर नहीं होता था। अधिकार क्षेत्र नहीं होने का कहकर टाल देते थे। इस कारण सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है।

