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मध्यप्रदेश में लागू हुई ई-जीरो एफआईआर प्रणाली, न्याय को मिली नई रफ्तार: डिजिटल युग में ई-जीरो एफआईआर

दिल्ली के बाद ई-जीरो एफआईआर लागू करने वाला मध्यप्रदेश देश का दूसरा राज्य
भोपाल। ई-जीरो एफआईआर व्यवस्था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘साइबर सुरक्षित भारत’ के दृष्टिकोण और अक्टूबर 2024 में उनके ‘मन की बात’ संबोधन के अनुरूप है। केंद्रीय गृहमंत्री देश में साइबर अपराध से निपटने हेतु ऐतिहासिक और तकनीक-आधारित कदम उठाए जा रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस को ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाए जाने की परंपरा के अनुरूप, पुलिस द्वारा प्रशासनिक सुशासन को सुदृढ़ करने हेतु एक नवीन अभिनव पहल के रूप में ई-जीरो एफआईआर (e-Zero FIR) व्‍यवस्‍था का शुभारंभ किया गया। जिसका उद्घाटन ग्वालियर में आयोजित अभ्युदय मध्यप्रदेश ग्रोथ समिट के दौरान  अमित शाह द्वारा किया गया। इस अवसर पर ई-जीरो एफआईआर की पहली प्रति मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को सौंपी गई। मध्यप्रदेश, दिल्ली के बाद देश का दूसरा राज्य बन गया है, जहाँ ई-जीरो एफआईआर प्रणाली को लागू किया गया है। यह पहल पुलिस को अपराधियों से एक कदम आगे रखने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
मध्यप्रदेश में बढ़ते साइबर अपराधों की चुनौतियों को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने तकनीक का दुरुपयोग कर जनता की गाढ़ी कमाई लूटने वाले अपराधियों पर प्रभावी अंकुश लगाने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री जी का मानना है कि जैसे हमने स्वच्छता को अपनी संस्कृति बनाया है, वैसे ही हमें साइबर स्वच्छता को भी अपनी संस्कृति बनाना होगा। प्रदेश में ई-जीरो एफआईआर व्यवस्था का संचालन पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाणा तथा अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ए. साईं मनोहर के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। जिसका उद्देश्य पुलिस को अपराधियों से अधिक तेज, तकनीक-सक्षम और नागरिक-केंद्रित बनाना है।
कानूनी ढांचा: BNSS और डिजिटल परिवर्तन
जुलाई 2024 से लागू हुए नए आपराधिक कानून—भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)—नागरिक-केंद्रित हैं और इनका मूल उद्देश्य ‘दंड नहीं, बल्कि न्याय’ प्रदान करना है।BNSS की धारा 173 के अंतर्गत जीरो एफआईआर को कानूनी मान्यता दी गई है, जिससे नागरिक देश में कहीं से भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शिकायत दर्ज करा सकते हैं, चाहे अपराध किसी भी क्षेत्राधिकार में घटित हुआ हो।
ई-जीरो एफआईआर एक क्रांतिकारी व्‍यवस्‍था
ई-जीरो एफआईआर एक क्रांतिकारी व्यवस्था है जो साइबर वित्तीय धोखाधड़ी (विशेष रूप से 1 लाख से अधिक की हानि) के मामलों में एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया को तेज करती है। इसका मुख्‍य उद्देश्‍य क्षेत्राधिकार (Jurisdiction) की बाधाओं को समाप्त कर जांच की प्रक्रिया को तुरंत प्रारंभ करना है। यह प्रणाली तीन प्रमुख डिजिटल मंचों को एकीकृत करती है, जिसमें नेशनल साइबरक्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP), I4C – भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र एवं CCTNS – अपराध एवं आपराधिक।
साइबर अपराध में ‘गोल्डन ऑवर’ का महत्व
साइबर अपराध में धोखाधड़ी के बाद के पहले 2 घंटे को “गोल्डन ऑवर” माना जाता है। जिसमें यदि पीड़ित तुरंत 1930 पर संपर्क करता है, तो I4C बैंकों के सहयोग से अपराधी के खाते में पहुंचने से पहले ही राशि को फ्रीज (रोक) किया जा सकता है। ई-जीरो एफआईआर के माध्यम से आईपी लॉग, ट्रांजैक्शन आईडी जैसे महत्वपूर्ण डिजिटल साक्ष्य कानूनी रूप से तत्काल सुरक्षित किए जाते हैं।

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