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सेवानिवृत्ति से 11 पूर्व निलंबन की वजह, जज के खिलाफ थी शिकयतें, हाईकोर्ट ने जांच के बाद हटाया

ग्वालियर. पन्ना के जज रामाराम भारती के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने जो टिप्पणी की है। उससे सेवानिवृत्त के अंतिम समय में फैसलों पर सवाल उठाये जा रहे थे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में सामने आये तथ्यों से यह भी स्पष्ट हुआ है कि राजाराम का निलंबन किसी एक आदेश या अचानक लिये गये फैसले का परिणाम नहीं था। हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ आई शिकायतों की पहले विधिवत और गोपनीय जांच कराई। सूत्रों के मुताबिक, यह जांच किसी बाहरी एजेंसी को नहीं, बल्कि एक अन्य प्रधान जिला न्यायाधीश को दायित्व सौंपा गया था। रिपोर्ट मिलने के बाद हाईकोर्ट की फुलकोर्ट बैठक में निलंबन का आदेश जारी किया गया।
जज राजाराम को 19 नवम्बर 2025 को निलंबित किया था जबकि 30 नवम्बर को सेवानिवृत्त थी उन्हें सेवानिवृत्ति से 11 दिन पूर्व निलंबित किया गया। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उनका मुख्यालय बदला गया। इस आदेश को उन्होने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। राहत नहीं मिली। जज राजाराम की तरफ से पैरवी करते हुए सीनियर एडवोकेट विपिन गांधी ने कहा था कि निलंबन आदेश में कोई वजह नहीं बताई गयी। यह दलील भी दी किसी गलत उद्देश्य से दिया गया हो तो फिर कार्यवाही क्यों नहीं हो सकती है।
शीर्ष कोर्ट ने भारती के संदर्भ में ये दो सवाल उठाए
1 हाई कोर्ट की जगह सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आए?
शीर्ष कोर्ट ने सवाल उठाया कि निलंबन के खिलाफ सीधे सुप्रीम कोर्ट आने के बजाय संबंधित अधिकारी ने हाई कोर्ट का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया।
जज राजाराम की ओर से बताया गया कि निलंबन का फैसला फुल कोर्ट का था, इसलिए सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई।
2 आरटीआई पर सुप्रीम कोर्ट की आपत्ति
सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई कि जज राजाराम ने निलंबन का कारण जानने के लिए सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत आवेदन किया। कोर्ट ने कहा कि एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी से यह अपेक्षा नहीं की जाती। उन्हें हाई कोर्ट के समक्ष अभ्यावेदन देना चाहिए था।
आगे क्या… सुप्रीम कोर्ट ने राजाराम भारती को हाई कोर्ट के समक्ष निलंबन के खिलाफ अभ्यावेदन देने की छूट दी है। हाई कोर्ट को इस अभ्यावेदन पर चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेना होगा।

 

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