आपसी सहमति से बने संबंध को हाईकोर्ट ने गैर-आपराधिक माना, विवाह नहीं पाया तो दुष्कर्म नहीं, आरोपी के ब्लैकमेलिंग का आरोप भी संदिग्ध
ग्वालियर. मध्यप्रदेश के हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच की एकलपीठ ने एक अहम फैसला सुनाया है यदि दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से लम्बे समय तक संबंध रहे हों और बाद में विवाह न हो, तो इसे दुष्कर्म नहीं माना जा सकता है। न्यायालय ने ऐसे ही एक मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए कहा है कि इस प्रकार की आपराधिक कार्यवाही न्याय प्रक्रिया का दुरूपयोग है।
यह मामला एक शिकायतकर्ता से संबंधित था। जिसने आरोप लगाया था कि आरोपी ने विवाह का झूठा वादा कर शारीरिक संबंध बनाये। नशा देकर दुष्कर्म किया। अश्लील तस्वीरें खींची और उन्हें वायरल करने की धमकी दी। हालाकि, रिकार्ड यह यह स्पष्ट हुआ था कि दोनों वयस्क थे और 2-3 साल तक स्वेच्छा से संबंध में रहे थे। न्यायालय ने टिप्पणी की कि यह मामला झूठे वादे से दुष्कर्म का नहीं। बल्कि आपसी सहमति से बने संबंध का है।
न्यायालय ने महिला के ब्लैकमेलिंग के आरोपों में भी विरोधाभास पाया है। अभिलेखों के अनुसार आरोपों ने स्वयं शिकायतकर्ता को 3 लाख रूपये का चेक दिया था। न्यायालय ने कहा है कि ऐसी परिस्थितियों में आपराधिक प्रकरण चलाना कानून की प्रक्रिया का दुरूपयोग होगा। इन तथ्यों के आधार पर न्यायालय ने दुष्कर्म, धमकी, धोखाखड़ी और आईटी एक्ट के तहत दर्ज सभी धाराओं समेत एफआईआर को रद्द कर दिया है।

