2005 से पहले नियुक्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाये-हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, नयी पेंशन योजना में शामिल नहीं पटवारी
ग्वालियर. हाईकोर्ट ग्वालियर की सिंगल बेंच ने पटवारी भर्ती से जुड़े एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि 1 जनवरी 2005 से पहले की भर्ती वाले पटवारियों को पुरानी पेंशन योजना फायदा मिलेगा। उन्हें नयी पेंशन योजना के दायरे में नहीं रखा जा सकता है। पटवारी अवधेशसिंह भदोरिया और अन्य ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी इसमें एडवोकेट आरबीएस तोमर ने तर्क दिया था याचिकाकर्त्ता वर्ष 2003 के पटवारियों भर्ती विज्ञापन के तहत चयनित किया गया था। उनकी ट्रेनिंग और मेडीकल समेत अन्य सभी प्रक्रियायें वर्ष 2004 तक पूर्ण हो चुकी थी। इस प्रकरण में एडवोकेट आरबीएस तोमर न्यायालय के समक्ष तर्क पेश किये गये और हाईकोर्ट ने पटवारियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा है कि 2005 के बाद के पटवारियों को भी पुरानी पेंशन का लाभ दिया जायेगा जिनका चयन 2004 में हुआ था।
इन सबके बावजूद उनकी नियुक्ति आदेश दिसम्बर 2005 में जारी किये गये थे। जिस वजह से उन्हें नयी पेंशन योजना में शामिल कर लिया गया था। जबकि उसी चयन प्रक्रिया के तहत कई अन्य अभ्यर्थियों को 1 जनवरी 2005 से पूर्व नियुक्ति देकर पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया गया था।

राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि नियुक्ति पत्र उपलब्ध पदों के आधार पर समय-समय पर जारी किए गए थे। इसलिए, कट ऑफ डेट के बाद नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को नई पेंशन योजना में रखा गया। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि किसी अभ्यर्थी की नियुक्ति में देरी विभागीय कारणों से हुई है, तो इसका नुकसान कर्मचारी पर नहीं थोपा जा सकता। न्यायालय ने कहा कि जब चयन प्रक्रिया और प्रशिक्षण 1 जनवरी 2005 से पहले ही पूरी हो चुकी थी, तो केवल नियुक्ति आदेश में देरी के कारण अभ्यर्थी को पुरानी पेंशन योजना से वंचित नहीं किया जा सकता।

