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कफ सीरप मामले के बाद बढ़ी सतर्कता, दवा जांचने के लिए अब होगा एडवांस डिवाइस का इस्तेमाल

भोपाल. विषाक्त कफ सीरप से मध्य प्रदेश के तीन जिलों छिंदवाडा, पांढुर्ना और बैतूल में 24 बच्चों की जान जाने के बाद औषधि प्रशासन विभाग दवाओं की गुणवत्ता की जांच के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग शुरू करने जा रहा है। औषधि निरीक्षकों को हैंडहेल्ड डिवाइस दी जाएगी जिसे दवा के ऊपर रखते ही पता चल जाएगा कि उसमें पाउडर यानी दवा का मुख्य तत्व कम तो नहीं है। जिन दवाओं में यह कम रहेगा उनके सैंपल जांच के लिए भेजे जाएंगे ताकि वैधानिक कार्यवाही की जा सके।
जानकारी के अनुसार सभी प्रमुख दवाओं की जांच डिवाइस से की जाएगी और निजी दोनों क्षेत्र में इसका उपयोग किया जाएगा। अभी सिर्फ महाराष्ट्र में ऐसी डिवाइस का उपयोग किया जाता है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 211 करोड रुपये से औषधि प्रयोगशालाओं का सुदृढीकरण किया जाना है। इसके लिए केंद्र से भी आर्थिक सहायता मांगी जा रही है। दवाओं की जांच के लिए आठ हैंड हेल्ड डिवाइस खरीदी जाएगी। एक की कीमत लगभग 50 लाख रुपये है।
1 वर्ष में 20 हजार सैंपलों की हो सकेगी जांच
अभी एक वर्ष में लगभग पांच हजार सैंपलों की जांच हो पाती है। अब इसे 20 हजार तक ले जाने का लक्ष्य है। इसके लिए उपकरण व मानव संसाधन बढ़ाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि एक वर्ष पहले तक एक मात्र लैब भोपाल में थी। इस वर्ष जबलपुर और इंदौर की लैब भी प्रारंभ हो चुकी है। ग्वालियर की शुरू होने वाली है। ज्यादा जोर तीनों नई लैब की क्षमता बढ़ाने पर है। यह व्यवस्था भी रहेगी कि सभी जगह केमिकल के साथ माइक्रोबायोलाजी जांचें भी हो सकें।

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