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ऑक्सीटोसिन केस में आरोपी कमल अग्रवाल दोषमुक्त

ग्वालियर. जिला न्यायालय के विशेष न्यायाधीश (ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट) ललितकिशोर की अदालत ने बहुचर्चित ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन केस में आरोपी कमल अग्रवाल को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। न्यायालय ने उन्हें संदेह का लाभ देते हुए यह फैसला सुनाया। न्यायालय ने पाया कि अभियोजन पक्ष अपने आरोपों को संदेह से परे सिद्ध नहीं कर पाया। इसके अतिरिक्त, साक्ष्यों में कई अहम विरोधाभास भी सामने आये। न्यायालय ने यह भी माना है कि दवा निरीक्षक द्वारा नमूना लेने और परीक्षण के लिये भेजने की प्रक्रिया में आवश्यक कानूनी प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है। रिपोर्ट भेजने में 3 दिन की देरी हुई है। जिसका कोई ठोस वजह प्रस्तुत नहीं किया गया है। इसके अलावा निरीक्षक द्वारा नमूना लेते वक्त इंजेक्शन का मूल्य भुगतान नहीं करना भी प्रक्रिया का स्पष्ट उल्लंघन था।
क्या है मामला
31 जुलाई 2019 को दवा निरीक्षक अजय ठाकुर को सूचना मिली थी कि गुढ़ागढ़ी का नाका स्थित एमएस कमल किराना स्टोर पर ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का अवैध रूप से भंडारण और विक्रय किया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान दुकान से बिना लेबल वाले 18 वायल (30 मिली) तरल पदार्थ के पाए गए जिन्हें दवा निरीक्षक ने जब्त कर नमूने जांच के लिए केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला कोलकाता भेजे थे।
गवाहों के बयान परस्पर विरोधी
न्यायालय ने अपने फैसले में का है कि जब मुख्य गवाहों के बयान परस्पर विरोधी हों और स्वतंत्र गवाह उनका समर्थन न करें तो अभियोजन की कहानी अविश्वसनीय हो जाती है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी मामले में 2 दृष्टिकोण संभव हों तो आरोपी को संदेह का लाभ दिया जाना चाहिये।

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