बेटे को DSP की रील ने बिछुडे माता-पिता से मिलवाया, 400 किमी दूर से बेटे अपने साथ ले गये माता-पिता

ग्वालियर. सोशल मीडिया वायरल वीडियो ने एक बेटे को उसके माता-पिता से मिला दिया। 7 माह पहले युवक के पिता उसके यूपी के आगरा उपचार के लिये ले जा रहे थे। तभी ग्वालियर स्टेशन पर ट्रेन बदलते समय प्लेटफार्म पर बेटा गुम हो गया था। काफी तलाश किया। लेकिन वह नहीं मिला। जीआरपी ग्वालियर में खबर की पर कोई सफलता नहीं मिल रही। इस दौरान वह लड़का लावारिस हालत में सड़क पर पुलिस को मिल गया। उससे लगातार पारिवारिक डिटेल्स पूछी जा रही थी। लेकिन वह अपने नाम के अलावा कुछ भी बता नहीं पा रहा था। बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया गया। जहां वह बालिग निकला तो उसे आश्रम स्वर्ग सदन में भेज दिया गया।
इस दौरान 15 जून को डीएसपी संतोष पटेल अपने बेिटे के साथ आश्रम में फादर्स डे सेलीब्रेट करने पहुंचे थे। जब उन्होंने इस लड़के को देखा तो उससे बात करने लगे। उसकी भाषा चित्रकूट की ओर की लगी। आश्रम की ओर से उसकी कहानी बताई गयी ।तो डीएसपी ने एक रील सोशल मीडिया पर शेयर कर दी। जिसे महज ढाई घंटे में ही रील को 10 लाख से अधिक लोगों ने देख लिया। रील 400 किमी दूर चित्रकूट कर्बी के सपहा गांव पहुंच गयी। इसके बाद 28 जून को बेटे को लेने उसके माता-पिता ग्वालियर आये और उसे अपने ले गये।
कभी अपना नाम, कभी भाई का नाम बोलता था
स्वर्ग सदन में लावारिस मिले निर्भय से लगातार बातचीत की जाती थी, जिससे वह अपने परिवार के बारे में कुछ बता सके। वह आए दिन कुछ न कुछ बड़बड़ाता रहता था। कई बार उससे उसके घर का पता पूछा जाता था तो वह बता नहीं पाता था। विकास गोस्वामी की टीम लगातार उसकी काउंसलिंग कर रही थी, लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी।
दिसंबर 2024 को सड़क पर लावारिस मिला था
ग्वालियर में दिसंबर 2024 में एक लड़का लावारिस हालात में सड़कों पर घूमते मिला था। वह मानसिक रूम से कमजोर लग रहा था और अपने बारे में भी कुछ नहीं बता पा रहा था। सड़क के आवारा कुत्ते उसके पीछे पड़े हुए थे। जब स्थानीय पुलिस को वह मिला तो पुलिस को लगा कि वह नाबालिग है। इस पर तत्काल उसे CWC (बाल कल्याण समिति) के सामने पेश किया गया। वहां से उसका मेडिकल परीक्षण कराया गया तो वह बालिग निकला। इसके बाद बाल कल्याण समिति ने उसे फरवरी 2025 में ग्वालियर स्थित स्वर्ग सदन आश्रम भेज दिया। स्वर्ग सदन आश्रम का संचालन विकास गोस्वामी करते हैं। यह संस्था भटके हुए लोगों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए काम करती है।

