MP भाजपा ने 230 विधायकों की तैयार कर ली है लिस्ट
भोपाल. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने 230 विधायकों की लिस्ट तैयार कर ली है। ये विधायक उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात और महाराष्ट्र के हैं, जो अपने क्षेत्र में चुनावी जीत की रणनीति में माहिर माने जाते हैं। हर एक विधायक को मप्र की एक सीट का जिम्मा दिया गया है। ये विधायक हर विधानसभा सीट से दावेदारों का पैनल तैयार कर केंद्रीय नेतृत्व को रिपोर्ट सौपेंगे। इनकी रिपोर्ट के आधार पर न केवल टिकट तय होगा, बल्कि यह भी तय होगा कि उस विधानसभा क्षेत्र में चुनाव कैसे लड़ना है। पार्टी ने फिलहाल विधायकों की इस वर्किंग को गोपनीय रखा है। इसमें यह भी जिक्र है कि कौन किस विधानसभा क्षेत्र में डेरा डालेगा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि मप्र में चुनाव की पूरी रणनीति गृहमंत्री अमित शाह की देखरेख में ही बन रही है। उसी के मुताबिक काम हो रहा है। दूसरे राज्यों के विधायकों से इस तरह वर्किंग कराना भी उसी का हिस्सा है। ये विशेषज्ञ विधायक हर विधानसभा में पहुंचकर हार-जीत की संभावना को खंगालकर पार्टी को बताएंगे कि उसे क्या करना है और क्या नहीं।
19 को भोपाल में ट्रेनिंग, 20 को क्षेत्र में जाएंगे
BJP के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि चार राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात और महाराष्ट्र के चुनिंदा विधायकों को 19 अगस्त को भोपाल में विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश मौजूद रहेंगे। इस दौरान बता दिया जाएगा कि काम कैसे करना है। 20 अगस्त को सभी अपने-अपने क्षेत्र में रवाना हो जाएंगे। जहां वे एक सप्ताह कैंप कर जानकारी जुटाकर रिपोर्ट तैयार करेंगे। ये जो भी काम करेंगे वह गोपनीय होगा। ये उसमें स्थानीय नेताओं का सहयोग नहीं लेंगे।
मौजूदा विधायकों की जमीनी हकीकत जांचना
MP में 230 में से 127 विधायक BJP के हैं। इसमें से 30 मंत्री हैं। क्षेत्र में इन विधायकों की मौजूदा स्थिति क्या है? विधायकों के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी कितनी है? इसे कैसे दूर किया जा सकता है? अन्य राज्यों के विधायक यह जानकारी जुटाएंगे। वे यहां विधायकों के फीडबैक के लेने के साथ ही अन्य दावेदारों से भी संवाद करेंगे। इसके अलावा पार्टी के पदाधिकारियों जैसे जिला अध्यक्ष, विधानसभा क्षेत्र मे आने वाले मंडलों के अध्यक्षों से मौजूदा विधायक का फीडबैक भी लेंगे।
हारी हुई 103 सीटों के लिए रणनीति का इनपुट
सूत्रों का कहना है कि जिन 103 सीटों पर कांग्रेस व अन्य दलों का कब्जा है, उनके लिए BJP अलग रणनीति पर काम कर रही है। इन सीटों पर भेजे जाने वाले विधायकों को अपनी रिपोर्ट में बताना होगा कि जीत के लिए क्या रणनीति होनी चाहिए? खासकर मौजूदा विधायक की ताकत व कमजोरियों की जानकारी जुटाई जाएगी। इनकी रिपोर्ट में ये भी शामिल होगा कि कौन से मुद्दों को उठाया जाए, जिससे BJP ये सीट जीत सके।
कांग्रेस से आए विधायकों पर ज्यादा फोकस
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस से आए, खासकर सिंधिया समर्थक मंत्रियों और विधायकों की क्षेत्र में क्या स्थिति है? इस पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। विशेषत: उन 9 सीटों पर जहां उपचुनाव 2020 में विधायक हार गए थे। अन्य राज्यों के विधायक इन सीटों के हर पहलू को अपनी रिपोर्ट में शामिल करेंगे। इसके अलावा जो 19 विधायक चुनाव जीत गए थे, अब उनके क्षेत्र में कितनी नाराजगी है? ये भी पता करेंगे। केंद्रीय नेतृत्व इन सीटों को लेकर ज्यादा गंभीर है। इस कारण से इन सीटों पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है।
MP में BJP के सामने 3 बड़ी चुनौतियां, जिसके कारण केंद्रीय नेतृत्व को संभालना पड़ा मोर्चा
जानकार कहते हैं कि BJP ने इस बार चुनाव में 200 सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है। जिसे पूरा करने के लिए 3 चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। यही वजह है कि केंद्रीय नेतृत्व मध्यप्रदेश में पूरी ताकत झोंक रहा है, जिनके कारण अमित शाह को MP में मोर्चा संभालना पड़ा है। वे एक महीने में तीन बार मप्र का दौरा कर चुके हैं। जानकारों का मानना है कि 15 महीने की कांग्रेस सरकार को छोड़ दें तो प्रदेश में 18 सालों से BJP की सत्ता है। ऐसे में पार्टी पर एंटी इंकम्बेंसी का खतरा है, केंद्रीय नेतृत्व को इसका आभास है।
सर्वे रिपोर्ट में संकेत ठीक नहीं
BJP के अंदरूनी और कुछ टीवी चैनलों की सर्वे रिपोर्ट में BJP-कांग्रेस में लगभग बराबर का मुकाबला है। 2018 के चुनाव में BJP को जादुई आकंड़े 116 से 7 सीट कम होने के कारण सत्ता से दूर रहना पड़ा था। सर्वे रिपोर्ट में इस बार भी कुछ क्षेत्रों में कांग्रेस को बढ़त मिलती बताई गई है। अब इन इलाकों में पार्टी ज्यादा फोकस कर रही है। चार राज्यों से आने वाले विधायक इन क्षेत्रों में कमजोरियों का पता लगाकर केंद्रीय नेतृत्व को बताएंगे।
पुराने और बड़े नेताओं की नाराजगी
BJP के सामने मूल विचारधारा के पुराने और बड़े नेताओं की नाराजगी भी एक चुनौती है। ये नाराजगी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों के BJP में आने के कारण ज्यादा है। इसका नुकसान नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव में पार्टी पहले ही उठा चुकी है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पहले ही इशारा कर चुके हैं कि यदि हम चुनाव हारेंगे तो अपनों से। केंद्रीय नेतृत्व ने भले ही प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं को असंतुष्टों को मनाने की जिम्मेदारी सौंप दी है। इसके बावजूद अन्य राज्यों के विधायक अपनी रिपोर्ट में यह भी बताएंगे कि नाराज नेताओं की क्षेत्र में कितनी वजनदारी है? उनकी नाराजगी से कितना नुकसान हो सकता है।
टिकट कटने के बाद बढ़ सकती है बगावत
BJP सूत्रों का कहना है कि इस बार उम्मीदवारों का चयन बहुत ही गंभीरता से किया जाएगाा। कुल मिलाकर बात ये है कि जिताऊ उम्मीदवार को ही टिकट मिलेगा। यदि यह फॉर्मूला लागू होता है तो कुछ पुराने विधायकों की टिकट कटने की आशंका है। ऐसे में जिसे टिकट मिलेगा उसके विरोध में बगावत के आसार बन सकते हैं। इन परिस्थितियों से निपटने की तैयारी की जाएगी। ऐसे हालात से पार्टी को कैसे डील करना है, ये रिपोर्ट ये विधायक तैयार करेंगे।
ग्वालियर-चंबल : 2018 में 7 सीटों पर सिमट गई थी BJP
ग्वालियर-चंबल में विधानसभा की 34 सीटें आती हैं। 2018 के चुनाव में BJP 7 सीटों पर सिमट गई थी। सूत्रों का कहना है कि इस चुनाव से पहले कराए गए पार्टी के सर्वे रिपोर्ट में इस इलाके की रिपोर्ट फिलहाल नेगेटिव है। बाद में हुए उपचुनाव में यहां BJP ने 8 और सीटें जीत ली थीं। BJP ने डैमेज कंट्रोल के लिए यहां के कद्दावर नेता केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बनाया है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इसी इलाके से आते हैं।