MP में अनम सैयद करा रही थी आदिवासी लड़की का धर्मांतरण
भोपाल. धर्मांतरण की कोशिश का नए तरह का मामला सामने आया है। एक हिंदू लड़की ने महिला थाने में शिकायत दर्ज कराई है कि उसकी एक मुस्लिम दोस्त उस पर धर्म परिवर्तन करने का दबाव बना रही थी। वो खुद को जर्नलिस्ट और फिल्म प्रोड्यूसर बताती थी। कहती थी कि तुम्हारा धर्म गंदा है। तुम डोनेशन पर पलती हो। पीड़िता का कहना है कि दोस्त का कथित पति रात में सोते वक्त उसका शारीरिक शोषण करता है। मैंने उनके साथ रहने के लिए मना किया तो उन्होंने मारपीट की और मुझे कैद कर लिया। इस शिकायत के बाद मामला सुर्खियों में आ गया। शिकायत के एक दिन बाद 5 अगस्त को दोपहर 12 बजे पुलिस ने अनम नाम की आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी महिला का पति फरार है।
अनम ने कहा मेरे रूम में शिफ्ट हो जाओ
मामले की शुरूआत जुलाई महीने से होती है। 22 साल की पीड़िता ने बताया- मैं बालाघाट की रहने वाली हूं। जुलाई के महीने में मैंने पशुपालन पत्रोपाधि महाविद्यालय में एडमिशन लिया। पहले सेमेस्टर की पढ़ाई शुरू कर दी। इसके कुछ ही दिनों के बाद कॉलेज में मेरी पहचान अनम सैयद नाम की एक लड़की से हुई। अनम वहां नहीं पढ़ती थी, लेकिन हर दिन कॉलेज आती थी। रोज मिलना होता था, इसलिए कुछ दिनों में हमारी अच्छी दोस्ती हो गई। अनम ने मुझसे पूछा-कहां रहती हो। मैंने कहा कि मैं अभी रूम की तलाश में हूं। फिलहाल रहने का कोई ठिकाना नहीं है। अनम ने तुरंत कहा कि मैं अकेली रहती हूं। मेरे रूम में शिफ्ट हो जाओ। शुरूआत में उसका व्यवहार अच्छा था। वो अपने किराए के मकान में अकेली रहती थी, इसलिए कुछ ज्यादा सोचे बिना मैं उसके साथ शिफ्ट हो गई। उसका घर भोपाल के नारियलखेड़ा पीपल चौराहे पर है। घर में शिफ्ट होते ही उसने मुझसे कहा कि हमारे यहां हिंदू-मुस्लिम में कोई फर्क नहीं होता। तुम्हें जिस हिसाब से रहना हो रह सकी हो।
वो हिजाब पहनने के लिए प्रेरित करने लगी
मेरे दिमाग में उसने मेरे धर्म के खिलाफ बहुत ही ज्यादा नेगेटिविटी भरने की कोशिश की। शुरूआत में मैं थोड़ा-थोड़ा उसकी बातों से प्रभावित भी होने लगी थी। कुछ दिन बाद वो मुझे हिजाब पहनने और नमाज पढ़ने के लिए प्रेरित करने लगी थी। जब भी अजान होती थी तो अनम मुझसे कहती थी कि मुसल्ला (वो दरी या चटाई जिस पर नमाज पढ़ी जाती है।) बांधा करो। इसके बाद सिर पर हाथ फेरा करो। मेरे साथ नमाज पढ़ो। जैसे मैं किया करूं, वैसे ही किया करो। मैंने उसे मुसल्ला बांधने या इस्लाम से जुड़ा कोई भी काम करने से मना कर दिया। इसके बाद वो मुझ पर दबाव बनाने लगी। एक दिन अचानक रात को मेरी नींद खुल गई तब हामिद मेरे पास बैठा था। मैंने उससे कहा कि आप यहां क्या कर रहे हैं। तो जवाब में उसने कहा नो ऑरगुमेंट। यहां पर कोई सवाल-जवाब नहीं होगा। मैं किसी भी चीज पर सवाल करती थी तो वो दोनों बोला करते थे- बदतमीज है। मुझे हर दिन मेंटली टॉर्चर किया किया जाने लगा।

