Latestराज्यराष्ट्रीय

कर्नाटक में बगावती सुर, क्या कांग्रेस में टूट होगी, जिन्होंने लिंगायतों को जोड़ा उन्हें मंत्री नहीं बनाया

बेंगलुरु. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के मंत्रिमंडल में उन्हें मिलाकर कुल 34 मंत्री हैं। इस बार कांग्रेस के अनुभवी नेताओं को चुना गया है। हम अभी-अभी पार्टी में आए हैं। राजनीति में धैर्य होना चाहिए। अगर ये दोनों चीजें हैं, तो कोई भी राजनीति कर सकता है। हालांकि मुझे उम्मीद थी। राजनीति में कोई साधु या संन्यासी नहीं होता। हर किसी की इच्छा मंत्री, डिप्टी CM या CM बनने की होती है। ये दर्द कर्नाटक के पूर्व डिप्टी CM लक्ष्मण सावदी का है, जो कर्नाटक में मंत्रियों की शपथ के बाद 29 मई को सामने आया। कर्नाटक सरकार में 34 ही मंत्री बनाए जा सकते हैं, यानी सिद्धारमैया की कैबिनेट में नए विधायकों के लिए जगह नहीं है। यही वजह है कि कई नेताओं में गुस्सा है। लक्ष्मण सावदी लिंगायत कम्युनिटी से आते हैं। वे चुनाव से पहले BJP से कांग्रेस में आए थे। बेलगावी की अथानी सीट से चुनाव लड़ा और 75 हजार वोट से जीते। लक्ष्मण सावदी BJP की सरकार में 20 अगस्त 2019 से 28 जुलाई 2021 तक डिप्टी CM रहे हैं। लिंगायत कम्युनिटी में उनकी अच्छी पैठ है। इस बार टिकट कटने के बाद लक्ष्मण सावदी कांग्रेस जॉइन कर रहे थे, तब बीएस येदियुरप्पा समेत BJP के बड़़े नेताओं ने उन्हें रोकने की कोशिश की थी, लेकिन वे नहीं माने। तब BJP ने कहा लक्ष्मण सावदी के पार्टी छोड़ने का कोई असर नहीं होगा, पर नतीजे इस दावे के उलट रहे।

सावदी के आने से कांग्रेस को 30 से 35 सीटों पर असर हुआ
कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक, सावदी के आने से 30 से 35 सीटों पर असर हुआ। लिंगायतों ने कांग्रेस को वोट दिए। इसी से इतनी बड़ी जीत मिली। इसके बावजूद उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। पूर्व CM जगदीश शेट्टार को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई। वे भी लिंगायत कम्युनिटी से आते हैं। हुबली-धारवाड़ सीट से लगातार 6 बार जीते, पर इस बार हार गए। ये तो उनकी बात हुई, जिन्हें पद नहीं मिला। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक पुट्टारंगशेट्टी तो डिप्टी स्पीकर बनाए जाने से नाराज हो गए। उन्होंने पार्टी का ऑफर ये कहते हुए ठुकरा दिया कि मेरे समर्थक चाहते थे कि मुझे मंत्री बनाया जाए। पुट्टारंगशेट्टी चामराजनगर सीट से विधायक हैं। वे इस बार का चुनाव 80 हजार से ज्यादा वोटों से जीते हैं।

लोकसभा चुनाव के वक्त हो सकती है फूट
2018 में कर्नाटक में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। इसके बाद कांग्रेस ने JD(S) के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। एक साल के भीतर सरकार गिर गई, क्योंकि कांग्रेस-JD(S) के 17 विधायक BJP में शामिल हो गए थे। राज्य में दोबारा BJP की सरकार बनी। इस बार कर्नाटक में कांग्रेस को बहुमत मिला है, लेकिन मंत्री पद न मिलने से कई बड़े नेता खुश नहीं हैं। कांग्रेस में एक साल तक टूट का खतरा नहीं है। लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस ने मैनेज नहीं किया, तो पार्टी में टूट हो सकती है। इसके पीछे दो कारण हैं। पहला- कांग्रेस ने चुनाव से पहले लोगों को 5 गारंटी देने का वादा किया था, अभी इसे पूरा करने का वक्त है। ये वादे पूरे नहीं हुए, तो जनता में गुस्सा फैलेगा। दूसरी वजह कई सांसद और विधायकों के खिलाफ CBI-ED की जांच है। कर्नाटक में DGP रहे प्रवीण सूद को CBI का नया डायरेक्टर बनाया है। वे कर्नाटक के तमाम नेताओं के सारे राज जानते हैं। ऐसे में कुछ दिन में सेंट्रल एजेंसियां राज्य में एक्टिव हो सकती हैं। ED की जांच में तो डिप्टी CM और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार भी फंसे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *