Newsमप्र छत्तीसगढ़

अटल की कविताओं पर कथक का अद्भुत संगम

ग्वालियर। भारत रत्न, प्रख्यात कवि और पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी के अवसर पर एक ऐतिहासिक और अनूठा सांस्कृतिक आयोजन देखने को मिला। पहली बार राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर में कथक नृत्य के माध्यम से अटल जी की कविताओं का मंचन किया गया और यह कार्यक्रम अटल स्वरांजलि के रुप में आयोजित किया गया। यह ऐसा अवसर था, जब शहरवासियों ने आधुनिक संगीत, शास्त्रीय कथक और काव्यपाठ का दुर्लभ संगम एक ही मंच पर देखा।
कार्यक्रम का आयोजन कृषि विश्वविद्यालय के दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार में किया गया, जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. डॉ. अरविंद शुक्ल ने की। मुख्य अतिथि के रूप में राजामान सिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर की कुलगुरु श्रीमती स्मिता सहस्त्रबुद्धे उपस्थित रहीं। यह आयोजन कृषि विश्वविद्यालय, सहसंयोजक राजा मान सिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय तथा राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ स्मृति न्यास, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत अटल जी की सुप्रसिद्ध कविता “आओ फिर से दिया जलाएं” से हुई। इसके बाद “नया गाता हूँ”, “मौत से ठन गई”, “ऊँचाई”, “अमर आग”, “कदम मिलाकर चलना होगा”, “भारत जमीन का टुकड़ा नहीं”, “क्या खोया क्या पाया”, “हिंदू तन-मन” सहित कुल नौ कविताओं पर भावपूर्ण कथक प्रस्तुतियां दी गईं। समापन राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की अमर कृति “रश्मिरथी” के तृतीय अध्याय “कृष्ण की चेतावनी” पर आधारित प्रस्तुति से हुआ, जिसने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। शिमला से आए 17 कलाकारों ने इस मंचन को जीवंत बना दिया। प्रसिद्ध कथक कलाकार डॉ. पूनम शर्मा के निर्देशन में प्रस्तुत यह 1 घंटा 5 मिनट की नृत्य-नाटिका अपने आप में अनोखी रही। डॉ. पूनम शर्मा ने बताया कि इतनी लंबी अवधि की कविताओं पर आधारित कथक प्रस्तुति इससे पहले कभी नहीं हुई।
कुलगुरु का संदेश
कृषि विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. डॉ. अरविंद शुक्ल ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी केवल राजनेता ही नहीं, बल्कि राष्ट्रबोध, मानवीय संवेदना और संघर्षशील जीवन-दर्शन के महान कवि थे। विद्यार्थियों को उनकी रचनाओं से प्रेरणा लेकर अपने व्यक्तित्व का निर्माण करना चाहिए। मुख्य अतिथि श्रीमती स्मिता सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि अटल जी ने राजनीति को नई दिशा दी। उनकी कविताओं में निहित रचनात्मकता, कलात्मकता और छंदबद्ध अभिव्यक्ति समाज के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहेगा।
स्मारिका का लोकार्पण
जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर अटल जी की कविताओं पर आधारित स्मारिका “अटल संस्कृति से संवाद” का भी लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में दिनकर स्मृति न्यास, दिल्ली के नीरज कुमार, साहित्य, संस्कृति और शिक्षा जगत से जुड़े गणमान्य नागरिक, कृषि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी एवं बड़ी संख्या में श्रोता सपरिवार उपस्थित रहे। यह आयोजन ग्वालियर की सांस्कृतिक परंपरा में एक ऐतिहासिक अध्याय के रूप में याद किया जाएगा, जहां पहली बार संगीत, नृत्य और काव्य ने एक साथ अटल स्वरांजलि के रूप में अर्पित किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *