अपात्र लोगों को मिल रही है पुलिस सुरक्षा से नाराज है हाईकोर्ट, 4 हफ्ते में जबाव देना होगा राज्य शासन को
ग्वालियर. राज्य सरकार की ओर से अपात्र लोगों को दी जा रही पुलिस सुरक्षा का मामला एक बार फिर हाईकोर्ट के संज्ञान में आया है। याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया है कि निजी व्यक्तियों का दी जाने वाली पुलिस सुरक्षा की समीक्षा के लिये पूर्व में न्यायालय द्वारा दिये गये आदेश का पालन नहीं किया गया। इसके चलते कई अपात्र लोग आज भी पुलिस सुरक्षा में घूम रहे हैं। जबकि उनके साथ तैनात पुलिसकर्मियों के अनैतिक गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप भी सामने आये है। इस संबंध मं जनहित में जुडा मानते हुए हाईकोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी किया गया है। 4 सप्ताह के अन्दर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिये है। याचिकाकर्ता नवलज किशोर शर्मा की तरफ से पैरवी कर रहे वकील डीपी सिंह ने कहा हैकि पुलिस बल की कमी के बावजूद बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी निजी व्यक्तियों की सुरक्षा में लगाये गये हैं।
इन पर लाखों रूपये का सरकारी खर्च हो रहा है। जबकि संबंधित व्यक्ति सुरक्षा के पात्र नहीं है। उन्होंने विनय सिंह का दी गयी है। पुलिस सुरक्षा का उदाहरण देते हुए बताया है कि सुरक्षा के दौरान ही उनके खिलाफ वसूली समेत 5 आपराधिक प्रकरण दर्ज किये गये जो कि सुरक्षा के दुरूपयोग को दर्शाता है।
33 पुलिसकर्मी 19 व्यक्तियों की सुरक्षा में है तैनात
हाईकोर्ट के पूर्व आदेश के बाद सूचना के अधिकारी () के तहत मिली जानकारी में सामने आया है कि 19 व्यक्तियों की सुरक्षा में 33 पुलिसकर्मी तैनात थे। जिनमें से अधिकांश अपात्र पाये गये। इससे पहले भी हाईकोर्ट दिलीप शर्मा, संजय शर्मा को दी गयी सुरक्षा के मामले में कड़ी टिप्पणी कर चुका है। न्यायालय ने दोनों भाईयों की सुरक्षा पर हुए खर्च की वसूली के आदेश दिये थे और स्पष्ट कहा था। किसी तुच्छ या अपात्र व्यक्ति को पुलिस सुरक्षा नहीं दी जानी चाहिये।
सुरक्षा के लिये ठोस नियम बनाये-हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने यह भी बताया था कि पुलिस सुरक्षा देने के लिये स्पष्ट और ठोस नियम बनाये जाने चाहिये। हाईकोर्ट ने सुझाव दिया कि यदि किसी परिवार के पास लायसेंसी हथियार है और व्यापारिक प्रतिस्पर्धा की वजह से जान का खतरा है। ऐसे मामलों में निजी सुरक्षाकर्मियों की व्यवस्था की जा सकती है। पुलिस कर्मियों की तुलना में अधिक सजग और प्रभावी हो सकते है।
यह है सुरक्षा देने का क्रम और नियम
पुलिस अधीक्षक 2 दिन तक सुरक्षा मुहैया करा सकते हैं।
पुलिस महानिरीक्षक 7 दिन तक सुरक्षा मुहैया करा सकते हैं।
7 दिन से अधिक की सुरक्षा के लिए प्रमुख सचिव गृह, प्रमुख सचिव विधि और डीजीपी की समिति फैसला लेगी।

