हाईकोर्ट ने ग्रेच्युटी के भुगतान का आदेश बरकरार, राज्य सरकारी की याचिका खारिज, शिक्षक को मिलेगा ब्याज समेत भुगतान
ग्वालियर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच की एकल पीठ ने कंट्रोलिंग अथॉरिटी (ग्रेच्युटी प्राधिकारी) द्वारा पारित आदेश को सही ठहराते हुए राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी। न्यायालय ने कहा है कि शिक्षिका ने 29 अक्टूबर 1999 से 29 फरवरी 2020 तक लगातार सेवा की है। इसलिये वही ग्रेच्युटी की हकदार है। इस मामले में कंट्रोलिंग अथॉरिटी (ग्रेच्युटी प्राधिकारी) ने शिक्षिका आशा सक्सेना को 7,35,753 रूपये ब्याज समेत देने का आदेश दिया था। सरकार ने इस आदेश को चुनौती दी थी।
सरकारी पक्ष का कहना था कि आशा सक्सैना की नियमित नियुक्ति 13 जनवरी 2019 से मानी जानी चाहिये। इसलिये उन्होंने 5 वर्ष की नियमित सेवा पूरी नहीं की है। उन्हें ग्रेच्युटी नहीं मिल सकती है। लेकिन शिक्षिका की ओर से कहा गया कि वे 1999 से लगातार काम कर रही हैं, इसलिए पूरी सेवा को एकसाथ गिना जाए। कोर्ट ने इस तर्क को सही माना और कहा कि नियम 2008 और 2018 के तहत उनकी सेवाएं निरंतर मानी जाएंगी। अदालत ने यह भी कहा कि पहले के फैसलों में भी ऐसा ही माना गया है कि पूर्व सेवा को ग्रेच्युटी की गणना में जोड़ा जाएगा। आखिर में, हाईकोर्ट ने कंट्रोलिंग अथॉरिटी का आदेश बरकरार रखा और राज्य सरकार की याचिका को “बिना किसी ठोस आधार” के बताते हुए खारिज कर दिया।

