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पाकिस्तान में टीएलपी के प्रदर्शन में 250 से ज्यादा की मौत

नई दिल्ली. पाकिस्तान में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के हालिया प्रदर्शन ने देश को हिला कर रख दिया है। जानकारी के अनुसार पाकिस्तान में टीएलपी के विरोध प्रदर्शनों में 20-25 लोगों की मौत हुई। सरकारी आंकड़े 5-15 मौतों की बात कह रहे हैं, जबकि टीएलपी का दावा है कि 250 से ज्यादा लोग मारे गए। लाहौर में सबसे ज्यादा हिंसा हुई, जहां 10 प्रदर्शनकारी मरे और 50 पुलिसकर्मी घायल हुए। मुरीदके में 4 लोगों की जान गई और 56 लोग घायल हुए, जिसमें एक पुलिस अधिकारी भी शामिल है। वहीं इस्लामाबाद, रावलपिंडी और गुजरांवाला में भी झड़पें हुईं, जहां टीएलपी के मुताबिक 11 लोग मरे और सैकड़ों घायल हुए, हालांकि सरकारी तौर पर पुष्टि नही हुई है। ध्यान रहे कि यह आंदोलन गाजा में इजरायल-हमास युद्धविराम के विरोध से शुरू हुआ, लेकिन अब यह सरकार और सेना के खिलाफ बड़े टकराव का रूप ले चुका है। वहीं 8 अक्टूबर 2025 से शुरू हुए इन प्रदर्शनों में हिंसा, गिरफ्तारियां और कई मौतें हो चुकी हैं।
क्यों हुआ प्रदर्शन
टीएलपी एक धार्मिक और राजनीतिक संगठन है, जो पाकिस्तान में ईशनिंदा कानूनों का समर्थक है। इसका नेतृत्व साद हुसैन रिजवी करते हैं। इस बार टीएलपी ने गाजा में इजरायल-हमास युद्धविराम समझौते का विरोध करते हुए इस्लामाबाद की ओर मार्च शुरू किया। उनका कहना है कि यह समझौता फिलिस्तीनियों के हितों के खिलाफ है। टीएलपी ने इसे फिलिस्तीन के लिए एकजुटता का मार्च बताया, लेकिन सरकार का आरोप है कि संगठन इसका राजनीतिक फायदा उठा रहा है।
प्रदर्शन का हिंसक रूप
8 अक्टूबर को टीएलपी ने इस्लामाबाद मार्च की घोषणा की। लाहौर में पुलिस ने संगठन के मुख्यालय पर छापा मारा, जिसके बाद झड़पें शुरू हो गईं। 9 और 10 अक्टूबर को इस्लामाबाद और रावलपिंडी में सड़कें बंद कर दी गईं। पुलिस ने आंसू गैस और लाठीचार्ज का इस्तेमाल किया, जबकि टीएलपी समर्थकों ने पथराव किया। 11 अक्टूबर तक मुरिदके में टीएलपी ने कैंप लगाए, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। 12 और 13 अक्टूबर को हिंसा बढ़ गई। मुरिदके में पुलिस की गोलीबारी में कई लोगों की मौत हुई। टीएलपी का दावा है कि 250 से ज्यादा समर्थक मारे गए, जबकि सरकार ने 15 मौतों की पुष्टि की है।

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