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MP के मुख्य सचिव सुप्रीम कोर्ट में तलब

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर को भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े पीड़ितों की स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्र और राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारियों को नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर की पीठ ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक, मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव और भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के प्रमुख सचिव को जवाब देने के लिए तलब किया है। यह कार्रवाई उस अवमानना याचिका पर की गई है जिसमें आरोप लगाया गया है कि 2012 में दिए गए न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं किया गया।
साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए थे अहम निर्देश
दरअसल, 9 अगस्त 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन बनाम भारत संघ मामले में कई अहम निर्देश जारी किए थे। इनमें पीड़ितों के मेडिकल रिकॉर्ड का कम्प्यूटरीकरण और उन्हें समुचित मेडिकल देखभाल उपलब्ध कराना शामिल था। इस मामले की निगरानी और प्रशासनिक पर्यवेक्षण सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इसे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर पीठ को ट्रांसफर कर दिया था। लेकिन याचिकाकर्ताओं का कहना है कि बीते 12 सालों में इन निर्देशों का सही तरीके से अनुपालन नहीं किया गया।
प्रतिवादी अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, अवमानना याचिका में कहा गया है कि 2015 में हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई थी, लेकिन पिछले दस सालों में प्रतिवादी अधिकारियों के खिलाफ किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई शुरू नहीं की गई। यह बात उस निगरानी समिति की रिपोर्ट में सामने आई, जिसे साल 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने और साल 2013 में हाईकोर्ट ने पुनर्गठित किया। अब उसी निगरानी समिति ने साल 2021 तक रिपोर्ट पेश की हैं। इन रिपोर्टों में बार-बार खामियों और लापरवाहियों की ओर इशारा किया गया है, लेकिन सरकारी मशीनरी ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया।

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