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ग्वालियर अंचल में भाजपा के सुर-ताल बिगड़ने से नेतृत्व की नाराजगी झलकी

ग्वालियर. ग्वालियर चंबल में भाजपा में नाराजगी और बडे नेताओं के बीच मतभेद के साथ मनभेद भी साफ नजर आने लगे है। यह बात संगठन क मूल आधार रहे वरिष्ठ नेता भी अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार भी कर रहे है। प्रदेश और जिलों की कार्यकारिणी गठन के साथ निगम मंडलों में नियुक्तियों से पहले नेताओं के बीच समन्वय और गठन के बाद कार्यकर्ताओं के बीच उपजने वाली असंतोष की भावनाओं को कंट्रोल करने के लिए 9 सदस्यीय छोटी टोली अस्तित्व में आई है। इस टोली में मालवा व विंध्य का तो प्रतिनिधित्व नजर आ रहा है लेकिन ग्वालियर चंबल को पूरी तरह से नजर अंदाज कर दिया गया है।
इनको प्रतिनिधित्व दिया जा सकता था
9 सदस्यीय छोटी टोली में मुख्यमंत्री मोहन यादव, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, संगठन महामंत्री हितानंद, उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला, जगदीश देवडा, प्रदेश के कैबिनेट मंत्री प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय और राकेश सिंह शामिल रहे। स्थानीय भाजपा नेताओं का कहना है कि पूर्व सांसद विवेक नारायण शेजवलकर, पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, लाल सिंह आर्य, वेदप्रकाश शर्मा सरीखे नेताओं को स्थान दिया जा सकता था। यह नेता संगठन की रीति-नीति से वाकिफ है और सरकार व संगठन में कई दायित्वों का निर्वहन भी कर चुके है।
नाराजगी का यह हो सकता है मूल कारण
अंचल की सड़कों को लेकर सिंधिया समर्थक मंत्रियों का मुख्यमंत्री के सामने मुखर होना। अंचल में प्रभुत्व को लेकर विधानसभाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच छिड़ी रार के साथ भिंड जिले के विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह का भिंड के कलेक्टर और जिलाध्यक्ष के विवाद प्रमुख कारण हो सकता है।

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