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पूर्व सब इंस्पेक्टर की सजा को हाईकोर्ट ने रखा बरकरार, डबल मर्डर की जांच में की थी हेराफेरी

ग्वालियर. हाईकोर्ट ग्वालियर ने पूर्व सब-इंस्पेक्टर सुरेशचंद्र शर्मा की बर्खास्तगी को बरकरार रखा है। डीबी ने उनकी रिट अपील खारिज कर दी है। न्यायालय ने कहा है कि ऐसे अधिकारियों को पुलिस विभाग ने रखना न्याय व्यवस्था और विभागीय अनुशासन के लिये उचित नहीं है। मामला सागर जिले के नरयावली थाने का है। सब इंस्पेक्टर शर्मा को दोहरे हत्याकांड में केस की जांच सौंपी गयी थी। जांच में उन्होंने न्यायालय में पेश की गयी चार्जशीट और आरोपियों को दी गयी प्रतियों में हेराफेरी की। सेशन कोर्ट ने पाया कि मूल दस्तावेज और आरोपियों को दी गयी प्रतियों में कई अंतर थे। कई जगह समय का उल्लेख भी नहीं था।
ट्रायल कोर्ट ने दी थी 3 साल की सजा
सेशन कोर्ट ने इस मामले में कड़ी आपत्ति दर्ज की। शर्मा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 194 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। 13 जनवरी 1998 को ट्रायल कोर्ट ने उन्हें तीन साल की कैद और 500 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। हाईकोर्ट में अपील पर सजा घटाकर एक साल कर दी गई। हालांकि जुर्माना बढ़ाकर 5000 रुपए कर दिया गया। शर्मा 1973 में सीधी भर्ती से सब-इंस्पेक्टर बने थे। उन्होंने लगभग 27 साल तक सेवा दी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पुलिस विनियम के तहत दोषसिद्ध अधिकारी को सेवा से हटाना उचित है। इस मामले में न तो विभागीय सुनवाई की आवश्यकता थी और न ही ऐसे अधिकारी को सेवा में रखने का कोई औचित्य था।

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