दो विधवा महिलाओं ने राज्यपाल-सीएम मांगी इच्छा मृत्यु, कोविड में पति खो दिये, जीना मुश्किल
ग्वालियर. 2 विधवा महिलाओं (पूनम और सुरूचि भदौरिया) ने मंगलवार को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया व यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा लगातार परेशान किये जाने से परेशान होकर कलेक्टर को राज्यपाल के नाम से आवेदन देकर परिवार समेत इच्छा मृत्यु की मांग की है। महिलाओं ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में उन्होंने अपने पतियों को खो दिया। उसके बाद परिवार पर आर्थिक संकट मंडराने लगा। इस दौरान फैक्ट्री में आग लग गयी और उसमें सब कुछ राख हो गया।
बच्चों के पालन-पोषण तक के लिये अन्य परिजनों पर निर्भर है। आरबीआई की गाइडलाइन के तहत 56-60 प्रतिशत में लोन सेटलमेंट नहीं कर रहे है। बल्कि फैक्ट्री को एनपीए कर दिया है। इसके बाद भी लाखों रूपये का कर्ज बिना वजह हमारे ऊपर निकाला जा रहा है। जबकि इन दोनों बैंक ने बिना इंश्योरेंस के लोन मंजूर कैसे किया। अब बैंक कर्मचारियों ने हमारा जीवन मुश्किल कर दिया। यदि शासन बैंक की प्रताड़ना नहीं रूकरवाता है तो हमारे पास सामूहिक आत्महत्या के अलावा कोई उपाय नहीं बचेगा। प्रशासनिक अधिकारियों ने मामले की जांच के लिये कहा है।
पति की जान गई अब बैंक वाले पल-पल मार रहे
ग्वालियर में मंगलवार की सुबह जिला न्यायालय से सत्याग्रह करने के बाद कलेक्टर से इच्छा मृत्यु मांगने वाली पूनम भदौरिया ने बताया कि मेरे पति स्व. सतेन्द्र सिंह भदौरिया ने साल 2018 में मालनपुर भिंड में प्रथा फोम इंडस्ट्रीज की नींव रखी थी। शुरू कर दिया। फैक्ट्री में आग लगने के बाद बैंक वालो ने 15 लाख रुपए जमा करवाए थे, जो 5-5 लाख की तीन किस्त में जमा करवाए थे। यह पैसा मैंने (पूनम सतेन्द्र भदौरिया) ने अपना जेवर एवं मेरी भांजी ने अपना जेवर बेच कर चुकाया था। हम किस्त भरते रहे और उन्होंने फैक्ट्री एनपीए कर दी। जबकि कई बार निवेदन किया कि RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) की गाइड लाइन के तहत 50 प्रतिशत पर लोन सेटलमेंट किया जाए और शेष राशि किस्तों में ली जाए, लेकिन बैंक वाले अपनी मर्जी से प्रताड़ित कर हर दिन घर आकर परेशान कर रहे हैं।
पति के निधन के बाद आर्थिक संकट, बैंक वालों ने मरने पर मजबूर किया
इसी मामले में सुरुचि भदौरिया पत्नी स्व. सुरेन्द्र सिंह भदौरिया बताया कि उनके पति ने मालनपुर भिंड में बालाजी थर्माकोल फैक्ट्री की नींव डाली थी। कोविड की दूसरी लहर में कोरोना की चपेट ने 9 मई 2021 को मेरे पति सुरेन्द्र सिंह की जान ले ली। पति का देहान्त हो जाने के बाद सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया में जो हमारा अकाउंट था वह पार्टनरशिप कम्पनी थी। सुरुचि और उनके पति सुरेन्द्र फैक्ट्री में पार्टनर थे। पति के निधन के बाद कंपनी का सारा दायित्व सुरुचि के कंधे पर आ गया। कई बार निवेदन किया कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइड लाइन के अनुसार 60% में लोन सेटलमेंट कर लीजिए और बाकी पैसा स्टॉलमेंट में जमा करवा लीजिए जिससे हम ऋण मुक्त हो सके। परन्तु बैंक ने हमारी फैक्ट्री पर कब्जा कर ताला लगा दिया और रिकवरी निकालते हुए लगातार नोटिस भेज रहे हैं। अब हमारा जीवन खतरे में हैं। इसलिए इच्छा मृत्यु की मांग की है।
बैंक का मामला है, हम क्या कर सकते हैं
इस मामले में कलेक्टर ग्वालियर रूचिका चौहान ने पीड़ित परिवार से आवेदन लेने के बाद उनको कहा कि यह मामला बैंक से लेनदेन का है। इसमें हम कुछ नहीं कर सकते हैं। फिर देखेंगे क्या संभव है।

