सरकारी कर्मचारी की FIR के खिलाफ की गयी अपील खारिज, हाईकोर्ट बोला -जांच का पहला चरण है FIR
ग्वालियर. हाईकोर्ट की डबलबेंच ने विभागीय मामलों में रिश्वत मांगने के आरोपी सहायक ग्रेड-3 कर्मचारी चेतन शर्मा की रिट अपील को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि एफआईआर दर्ज होना अपराध सिद्ध होने के बराबर नहीं है। यह केवल जांच की शुरूआत है। यदि जांच में आरोपी या किसी अन्य अधिकारी की संलिप्तता सामने आती है तो उनके खिलाफ कानून के तहत कार्यवाही की जायेगी।
यह मामला पीएचई (लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी) विभाग से जुड़ा है। 2017 में ममता पाक के पति का स्थाई वर्गीकरण निरस्व्त कर दिया गया था। पति के निधन के बाद ममता पाठक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। लेकिन विभाग ने 2 वर्षो तक कोई जवाब नहीं दिया। याचिकाकर्त्ता के अधिवक्ता देवेश शर्मा ने विभाग काउत्तर देने का अधिकार समाप्त करने की अर्जी लर्गा थी जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद शासन ने पुर्नविचार याचिका की।
हाईकोर्ट की एकलपीठ ने FIR के दिए थे निर्देश
इस पूरे प्रकरण पर पहले हाईकोर्ट की एकल पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि पीएचई विभाग ने हाईकोर्ट तक को नहीं छोड़ा। कोर्ट ने चेतन शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच के आदेश दिए थे। चेतन शर्मा ने इस आदेश को युगल पीठ में चुनौती दी थी। उनका तर्क था कि उन्हें सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया और वह पिछले दो सालों से संबंधित कार्य से जुड़े ही नहीं थे। उन्होंने खुद को एक ईमानदार कर्मचारी बताया। हालांकि, कोर्ट ने इन दलीलों को स्वीकार नहीं किया और कहा कि विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 की धारा 41(डी) के अंतर्गत आपराधिक जांच पर रोक नहीं लगाई जा सकती। कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह मामले की निष्पक्ष जांच कर कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई करे।