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कालिंजर दुर्ग शैक्षणिक भ्रमण- एक ऐतिहासिक धरोहर- कालिंजर किला

ग्वालियर- कालिंजर किला उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में बांदा जिले में स्थित है। यह किला विंध्य पर्वत श्रेणी की पहाड़ियों पर बना है और भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे भारतीय वास्तुकला, इतिहास और संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। यह किला अपनी भौगोलिक स्थिति और मजबूत संरचना के कारण हमेशा से ही सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है।
छात्र -छात्राओं को भारतीय इतिहास और चंदेल वास्तुकला एवं मूर्तिकला के संरक्षण के महत्व को प्रो. शान्तिदेव सिसोदिया प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययन शाला के विभागाध्यक्ष के द्वारा दुर्ग के सामरिक एवं पुरातात्विक महत्व को विस्तृत रूप से बताया गया और साथ में शोधार्थी राजकुमार गोखले, राहुल बरैया, शामिनखान उपस्थित रहे, चंदेल राजाओं द्वारा 9 और 10वीं शताब्दी के बीच इस दुर्ग बनाया गया था।
नीलकंठ मंदिर:
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और किले के अंदर स्थित है। यहाँ भगवान शिव की भव्य मूर्ति और शिवलिंग है, जो पर्यटकों और पुरातत्व के छात्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। यह मंदिर शैल स्थापत्य का प्रमुख उदाहरण हैं और इस मंदिर में बाद के समय में मंदिर के गर्भ ग्रह के आगे मंडप बनाया गया है जो पूर्ण रूप से नहीं बनाया गया है जो चंदेल शैली से बिल्कुल अलग है यह संभवतः बाद के समय में परमार शैली में बनाया गया हैं यहां भगवान शिव की विशाल प्रतिमा जो शिव के रौद्र रुप को धारण किए। हुए जीवित स्वरूप में उकेरी गईं हैं साथ ही चामुण्डा के विभत्स प्रतिमा को चट्टान पर बनाया गया है ,
यहां चित्रित मूर्तियां और शिलालेख:
किले की दीवारों और चट्टानों पर अद्भुत मूर्तियां और शिलालेख उकेरे गए हैं, जो चंदेल शासकों की कला और संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं। रानी महल: यह महल चंदेल राजाओं की रानियों के लिए बनाया गया था और इसकी स्थापत्य शैली दर्शनीय है।
पन्ना झील:
किले के पास स्थित यह झील किले की सुंदरता को और बढ़ाती है। यह किला गुप्त काल से लेकर मुगल काल तक विभिन्न साम्राज्यों के अधीन रहा। यहाँ कई ऐतिहासिक युद्ध लड़े गए, जिनमें शेर शाह सूरी का नाम प्रमुख है, जो यहीं अपनी मृत्यु को प्राप्त हुए थे।

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