26 वर्षो से बंद पड़ी है जेसी मिल्स, सीएम बोले जल्द समाधान होगा और श्रमिकों को जल्द बकाया पैसा भी मिलेगा

ग्वालियर. सोमवार की सुबह -सुबह मुख्यमंत्री 26 वर्षो से बंद पड़ी जेसी मिल को देखने के लिये पहुंचे। श्रमिक, श्रमिकों के परिवार से भी बातचीत की है। इसके बाद उन्होंने कहा है कि जेसी मिल के श्रमिकों की समस्याओं का जल्द समाधान होने वाला है। हुकुमचंद मिल की तरह जेसी मिल के 8 हजार श्रमिकों की समस्याओं का समाधान किया जायेगा। डॉ. मोहन यादव पहले सीएम है। जेसी मिल देखने के लिये पहुंचे है। यहां के 8 हजार श्रमिक और उनके परिवार के भुगतान के इंतजार में है। अभी तक किसी भी सीएम ने यहां आकर उनकी समस्याओं के समाधान के प्रयास नहीं किया है।

जेसी मिल के श्रमिकों का समाधान हो अधिकारियों को लगाया है
सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मैंने अधिकारियों को जेसी मिल के समाधान के लिये लगाया है। स्वयं ऊर्जामंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के साथ मैंने मिल का निरीक्षण किया है। मैं ऐसा आश्वासन देता हूं कि जल्द ही जेसी मिल के 8 हजार श्रमिकों की समस्याओं का समाधान हो जायेगा।
मोहन यादव बोले- आईटी क्षेत्र में बहुत संभावना है
सीएम ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, ऐसी जमीनों का उपयोग उद्योग और अन्य विकास कार्यों में किया जाएगा। ग्वालियर में आईटी के क्षेत्र में बहुत संभावनाएं हैं। यहां के युवा बाहर जाकर काम कर रहे हैं। मैं चाहता हूं कि ग्वालियर में ही उनको यह मौका मिले। इसलिए इस पर भी आगे कई संभावनाओं पर काम किया जाएगा।
अचानक सीएम पहुंचे जेसी मिल
सीएम मोहन यादव रविवार की सुबह अचनाक जेसी मिल का निरीक्षण करने पहुंचे। यहां से श्योपुर के विजयपुर में उपचुनाव में प्रचार करने के बाद देर रात को ग्वालियर लौटे थे। रात अधिक होने की वजह से भोपाल नहीं जा पाये। मुरार के वीवीआईपी सर्किट हाउस में उन्होंने रात्रि विश्राम किया था। यहां विश्राम करने के बाद सोमवार की सुबह वह बिना तय कार्यक्रम के ग्वालियर के हजीरा बन्द पड़ी, जेसी मिल पहुंच गये। उनके साथ प्रदेश सरकार के ऊर्जामंत्री, जिलाध्यक्ष अभय चौधरी उपस्थित रहें। यहां सीएम ने जेसी मिल परिसर में घूमकर यहां के श्रमिक, श्रमिक परिवार के सदस्यों से बातचीत कर समस्याओं को समझा और उनके समाधान का आश्वासन दिया। सीएम ने श्रमिक संघ के नेताओं से भी मुलाकात की है।
1923 में शुरू हुई थी मिल
24 फरवरी 1921 को सिंधिया स्टेट के महाराज जीवाजी राव सिंधिया ने घनश्याम दास बिरला को ‘बिरल्ला ब्रदर्स’ के नाम पर 700 बीघा से अधिक जमीन पर मिल खोलने के लिए दी थी। उसके बाद सन 1923 में इस मिल में कपड़ा उत्पादन के लिए मशीनें लगाई गई और उसके बाद यह मिल शुरू हो गया। जिसमें करीब 16000 मजदूर काम करने लगे थे। प्रतिदिन यहां करीब एक लाख गज सादा कपड़े का उत्पादन होने लगा। उसके बाद आजादी के समय इस मिल का नाम ‘जेसी मिल’ मतलब’ जीवाजी राव कॉटन मिल्स लिमिटेड’ के रूप में कन्वर्ट कर दिया गया। कुछ समय बाद इस मिल में फैंसी और जकाट लूम लगाए गए। उसके बाद कपड़े के साथ पलंग की निवाड़ और गर्म कपड़ों के लिए उनका उत्पादन भी शुरू हो गया। इसके बाद धीरे-धीरे यह जेसी मिल का पतन शुरू हुआ।28 अप्रैल 1992 में मध्य प्रदेश की तत्कालीन सुंदरलाल पटवा सरकार द्वारा बिजली बिल न भरने का नोटिस दिया। सरकार द्वारा यह बताया गया कि जेसी मिल पर बिजली का बिल लगभग 4 से 5 करोड़ है और पेनेल्टी मिलाकर कुल 55 करोड़ से अधिक हो गया है। उसके बाद बिजली का बिल का भुगतान न किए जाने का बहाना लेकर बिजली विभाग ने जेसी मिल की बिजली को काट दी। उसके बाद यह जेसी मिल पूरी तरह बंद हो गई, जिससे इस मिल में काम करने वाले 8 हजार से अधिक मजदूर बेरोजगार हो गए।

