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भारत में हाइड्रोजन ट्रेन जल्द ही दौड़ेगी, जल्द खत्म होगा इंतजार

रेलवे ने रखा 2030 तक स्वयं को नेट जीरो कार्बन एमिटर बनाने का लक्ष्य
पहली हाइड्रोजन ट्रेन अगले वर्ष यानी 2024-25 में शुरू हो सकती है।
पहली हाइड्रोजन ट्रेन दिल्ली-डिवीजन के जींद-सोनीपत रूट पर चलेगी।
नई दिल्ली. भारतीय रेलवे ने वर्ष 2030 तक स्वयं को ‘‘नेट जीरो कार्बन एमिटर’’ बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिये रेलवे कई नये कदम उठा रहा है। इसमें हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेने चलाना भी शामिल है। पहली हाइड्रोजन ट्रेन आगामी साल यानी 2024’25 में शुरू हो सकती है। इससे पहले इस वर्ष के आखिरी तक इसकी टेस्टिंग शुरू हो जायेगी। यह पहली हाइड्रोजन ट्रेन दिल्ली-डिवीजन के 89 किमी लम्बे जींद-सोनीपत रूट पर चलेगी। रेलवे के एक सीनियर ऑफिसर ने बताया कि भारती की पहली हाइड्रोजन ट्रेन उत्तरी रेलवे के दिल्ली डिवीजन में चलाई जायेगी। यह ट्रेन दिसम्बर में ट्रायल रन शुरू करेगी।
35 हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की तैयारी
यह प्रोजेक्टर रेलवे के उस बड़े प्लान का हिस्सा है। जिसके तहत वह हेरिटेज और पहाडी रास्तों पर 35 हाइड्रोजन ट्रेन चलाना चाहता है। इस प्रोजेक्ट को ‘‘ हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज’’ नाम दिया गया है। हाइड्रोजन ट्रेने पर्यावरण के लिये लाभदायक है। इनसे प्रदूषण बिलकुल नहीं होता है। यह रेलवे के उस लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगा। जिसके तहत वह 2030 तक स्वयं को नेट हीरो कार्बन एमिटर बनाना चाहता हे। इसके लिये रेलवे और भी कई कदम उठा रहा है। इनमें ट्रेनों में बिजली बचाने वाली हल तकनीक और स्श्वष्ठ लाइट्स का उपयोग, कम बिजली खच्र करने वाले उपकरण और पेड लगाना शामिल है। इसके अलावा, रेलवे स्टेषनों और जमीन पर सोलर प्लांट भी लगा रहा है।
2800 करोड़ रूपये का आवंटन
हाइड्रोजन ट्रेन प्रोजेक्ट पर रेलवे काफी पैसे खर्च कर रहा है। इस साल के बजट में 35 हाइड्रोजन ट्रेनों के लिये 2800 करोड़ रूपये रखे गये है और साथ ही हेरिटेज रूट पर हाइड्रोजन से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के लिये 600 करोड़ रूपये अलग से चलने वाली एक डेमो ट्रेन को हाइड्रोजन से चलाने का प्रोजेक्ट भी शुरू किया है। इसके लिये 11183 करोड़ रूपये का ठेका दिया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत ट्रेन में हाइड्रोजन फ्यूल सेल लगाई जायेगी। जमीनी स्तर पर जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जायेगा। कुल मिलाकर हाइड्रोजन ट्रेन प्रोजेक्ट भारतीय रेलवे के लिये एक महत्वाकांक्षी कदम है। यह प्रोजेक्ट न सिर्फ पर्यावरण के लिये फायदेमंद हांगा। बल्कि भारत को ग्रीन ट्रांसपोर्र्टेशन के क्षेत्र में आगे बढ़ाने मे ंभी मदद करेगा।

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