परिवहन विभाग में जिस बाबू ने 22 रु. की जगह 22 हजार की रसीद काटी, जिस पर एफआईआर हुई उसी बाबू को परमिट शाखा का प्रभार
ग्वालियर. परिवहन विभाग ने शुक्रवार को जो बैठक मुख्यालय पर प्रदेशभर के आरटीओ की रखी गई थी उसमें कहा गया था कि विभाग में करीब 22 अधिकारी व कर्मचारी ऐसे ही जिनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही है लेकिन सवाल यह उठता है कि जिनकी जांच चल रही है उनमें से कितनों को दोषी पाया गया। हालात यह है कि डीई तो चलती है लेकिन आखिर में उनको क्लीन चिट दे दी जाती है यही कारण है कि विभाग के अंदर काम करने वालों में किसी तरह का भय नहीं है। ग्वालियर आरटीओ कार्यालय की बात करे तो यहां ऐसे बाबू को परिमट शाखा का प्रभार दे रखा है जिसके खिलाफ एआरटीओ रिंकू शर्मा ने सिरोल थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी।
आरटीओ ग्वालियर कार्याल्य में परमिट शाखा का काम ख्यालीराम के पास है कुछ साल पहले उसने जिस काम के लिए 22 रुपए की रसीद कटना थी उसमें उसने 22 हजार रुपए की रसीद काट दी थी। यह मामला तब उजागर हुआ जब संबंधित ने अपने दस्तावेज देखे तो उसे पता चला कि 22 रुपए लगने थे लेकिन ले लिए 22 हजार इसके बाद शिकायत हुई तो जांच करने पर मामला सही पाया गया था इसके बाद एआरटीओ रिंकू शर्मा ने बाबू ख्यालीराम के खिलाफ सिरोल थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। इस एफआईआर के बाद ख्यालीराम को परमिट शाखा से हटा दिया गया था ओर निलंबित भी कर दिया था। इस मामले की जांच शुरू हुई तो तत्कालीन डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर का प्रभार देखने वाले एमपी सिंह ने उन्हें क्लीन चिट दी ओर जांच में उन्होंने यह लिखा था कि बाबू ख्यालीराम से गलती तो हुई है लेकिन यह उनकी पहली गलती है इसलिए उसे माफ किया जाना चाहिए।
मामला गंभीर होने के बाद भी पहली गलती मानकर उसे क्लीन चिट देना क्या न्यायसंगत है अगर यह नियम है तो कोई भी अपराध पहला हो तो उसे सजा नहीं मिलनी चाहिए। खैर यह परिवहन विभाग है ओर यहां किस हिसाब से काम होता है यह सब जानते है। निलंबित बाबू ख्यालीराम का मामला अब बहाल होने तक पहुंच गया था ओर उसे समय के तत्कालीन अपर परिवहन आयुक्त संदीपव माकिन का तबादला नगर निगम में हो गया था। रिलीव होने से पहले माकिन ने बाबू ख्यालीराम को बहाल कर दिया था। अब सवाल यह उठता है कि क्या परिवहन विभाग में कोई नियम नहीं है और अगर है तो उसे माना क्यों नहीं जाता।
नोटशीट भी प्राइवेट लड़के से लिखवाई
विभाग में अगर कोई नोटशीट लिखी जाती है तो उसे विभाग का ही बाबू लिखता है लेकिन आरटीओ ग्वालियर में अधिकतर काम प्राइवेट लोगों के सहारे किया जा रहा है। बाबू ख्यालीराम ने एक मामले में जो नोटशीट लिखी थी उसे उसने स्वयं न लिख एक प्राइवेट लड़के से लिखवाई थी जिसको लेकर काफी विवाद भी हुआ था लेकिन बाद में मामला ले-देकर सुलटा दिया गया था जबकि नियम यह है कि अगर कोई बाबू नोटशीट प्राइवेट लोगों से लिखवाता है तो उसे सजा के तौर पर तत्काल निलंबित तो किया ही जाना चाहिए था साथ ही विभागय जांच भी की जाना चाहिए थी क्योंकि यह काफी गंभीर मामला है। मजे की बात तो यह है कि जिस बाबू के खिलाफ तत्कालीन एआरटीओ रिंकू शर्मा ने सिरोल थाने में एफआईआर दर्ज कराई हो उसको बहाल होने के बाद परिमट शाखा का प्रभार सौप दिया गया। आखिर ऐसा उस बाबू में क्या है इसको लेकर अ आरटीओ के कर्मचारियों के अंदर ही चर्चाएं होने लगी है।

