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ढाका 2 अखबारों के ऑफिस आग के हवाले और प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे हादी-हादी का नारा, अवासी और भारत के खिलाफ उगल रहे थे जहर

नई दिल्ली. ढाका का शाहबाग चौक बारूद ढेर पर बैठा है और सुलग रहा है। एक ओर जुमे की नमाज चल रही है तो दूसरी तरफ ओर इंकलाब मंच के नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के विरोध में उग्र प्रदर्शन किया जा रहा है। जमात-एन्-इस्लामी और इंकलाब मंच के नेता कार्यकर्ता भड़काऊ नारे लगा रहे है। हादी भाई का खून बेकार नहीं जायेगा, तुमी के, तुमी के हादी हादी, आर्मी के, आमी के- हादी-हादी, लोग धरो, जेल पठाओ, लोग को पकड़ो और जेल भरो।
इस दौरान बांग्लादेश में जबदस्त हिंसा हो रही है। 2 अखबारों के ऑफिसों को आग के हवाले कर दिया गया है। भारत के राजनायिक प्रतिष्ठानों पर हमले हो रहे हैं। शेख मुजीबुंर्रहमान के धानमंड़ी आवास में एक बार फिर से आगजनी और तोड़फोड़ हुई है। कई सांस्कृतिक केन्द्रों को तोड़ दिया गयाहै। दंगाईयों ने एक हिन्दू को सरेआम लटकाकर जला दिया। बांग्लादेश की यह अराजकता रवांडा नरसंहार की याद दिलाती है। जब ऑपनिवेशिक काल से चले आ रहे हूतू-तुत्सी जातीय तनाव की वजह से नरसंहार हुआ था। बेल्जियम शासन ने तुत्सी ने विशेषाधिकार देकर विभागजन को गहरा कर दिया। 1990 में तुत्सी विद्रोहियों के आक्रमण से गृहयुद्ध शुरू हुआ है। 6 अप्रैल 1994 को राष्ट्रपति हब्यारिमाना की हत्या कर दी गयी है। इसके बाद भड़के गृहयुद्ध में 100 दिनों में लगभग 8 लाख तुत्सी और उदारवादी हूतू मारे गये है।

 

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