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कर्मचारी को 30 सालों के बाद हाईकोर्ट से मिला न्याय, 1988 से नियमित माना, वेतन-पेंशन और पदोन्नति लाभ देने के दिये निर्देश

ग्वालियर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच की एकल पीठ ने गन्न विकास परिषद, डबरा के कर्मचारी सुरेन्द्र मोहन को 3 दशक के बाद राहत मिली है। न्यायालय ने राज्य सरकार को उनकी सेवा 2 सितम्बर 1988 से नियमित मानने और सभी वेतन, पेंशन व पदोन्नति संबंधी लाभ 3 माह में प्रदान करने का निर्देश दिया है। सुरेन्द्र मोहन ने 1981 में डबरा की शुगर केन डवलपमेंट काउंसिल में नौकरी शुरू की थी। उनकी सेवा 1988 में नियमित हुई है। लेकिन बाद में काउंसिल भंग होने पर उन्हें कृषि विभाग में समाहित कर दिया गया।
वर्ष 2003 के बाद उन्हें वेतन नहीं मिला, जिसके बाद उन्होंने न्यायालय की ओर रूख किया। न्यायालय ने सरकार के उस आदेश को कानून के विरूद्ध बताया।जिसमें सुरेन्द्र मोहन को सितम्बर 2014 से नयी नियुक्ति दी गयी थी। न्यायालय ने कहा है कि सरकार का रवैया अनुचित रहा है। एक कर्मचारी जिसने वर्षो तक सेवा दी है। उसे नये सिरे से नियुक्त मानना कानून के विरू द्ध हैं न्यायालय ने इस आदेश को रद्द करते हुए निर्देश दिया है कि उनकी पूरी सेवा अवधि को मान्यता दी जाये। सेवा निवृत्ति तक का वेतन अन्तर व अन्य सभी लाभ दिये जाये।

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