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बहोड़ापुर स्थित भेलसे वाली मां का दमकेगा दरबार, 176 वर्ष पुराना मंदिर को लौटेगा वैभव, मूल स्वरूप में लाने के लिये 1.03 करोड़ रूपये से होगा जीर्णोद्वार

ग्वालियर. नवरात्रि के आगमन के मौके के साथ ही भक्तों के लिये अच्छी खबर है। बहोड़ापुर इलाके में स्थित 176 सालों से आस्थ केन्द्र भेलसे वाली माता मंदिर अब अपने मूल स्वरूप में वापिस लौटने जा रहा है। लम्बे समय से मंदिर की हालत जर्जर थी और गर्भगृह तक पहुंचना भी मुश्किल हो गया था।
धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग के निर्देश पर कलेक्टर रूचिका चौहान ने सर्वे कराकर जीर्णोद्वार कराने का प्लान बनाया है। इसमें अहम बात यह है कि पीडब्ल्यूडी ने जो प्लान तैयार किया है उसके अनुसार मंदिर का कायाकल्प आधुनिक डिजायन में नहीं बल्कि 1849 में बने वैभवशाली स्वरूप् के अनुरूप ही किया जायेगा। राज्य सरकार ने अभी तक इस मंदिर में एक बार ही काम कराया है। 1980 में सिर्फ 17 हजार खर्च कर सीडि़यां बनवाई थी। इसके बाद 2017 तें तत्कालीन मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के निर्देश पर 26 लाख रूपये का प्रस्ताव तो बना लेकिन काम नहीं होने की वजह से बजट लैप्स हो गया। फरवरी 2025 में अभिनंदर त्यागी ने प्रदेश के मंत्री धर्मेन्द्र लोधी को पत्र लिखकर मंदिर की हालत बताई थी। इस पर लोधी ने प्रशासन से रिपोर्ट तलब की तब यह प्लान बना है।
भेलसे वाली माता का इतिहास
महंत अजय भेलसेवाले बताते हैं कि यह मंदिर महाराजा जयाजीराव सिंधिया की आज्ञा से 1849 में गोविंदराव बिट्ठलराव भेलसेवाले शमशेर जंग बहादुर द्वारा बनवाया गया था। विदिशा (तब भेलसा) के खजाने से माता की मूर्ति लायी गयी थी और यहां तुलजापुर वासिनी माता की स्थापना की गयी थी। मंदिर प्रांगण में दो दीप स्तंभ हैं, जिनपर 500 दीपक एक साथ प्रज्ज्वलित होते हैं। मंदिर के पास प्राचीन जनकताल, गौशाला और बद्रीविशाल मंदिर भी है।
प्रस्ताव आयुक्त को भेजा है
धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग का पत्र मिलने पर सर्वे एवं निरीक्षण कराया गया था। मंदिर में जीर्णोद्वार कार्य कराए जाने के लिए पीडब्ल्यूडी ने प्लान बनाया है। 1 करोड़ 3 लाख के इस प्रस्ताव को संभागीय आयुक्त को भेज दिया है। रुचिका चौहान, कलेक्टर

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