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वक्फ कानून बरकरार, बोर्ड में 3 सदस्य गैर मुस्लिम हों सकेंगे, 5 वर्ष की शर्त खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने कुछ धाराओं में लगाई रोक

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कानून के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने फिलहाल उस प्रावधान पर रोक लगाई है। जिसमें वक्फ बोर्ड का सदस्य बनने के लिये कम स कम 5 वर्ष तक इस्लाम का पालन करने की शर्त रखी गयी थी। न्यायालय ने कहा है कि इस संबंध में उचित नियम बनने तक यह प्रावधान लागू नहीं होता है।
इसके अलावा धारा 3 (74) से जुड़े राजस्व रिकॉर्ड के प्रावधान पर भी रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि कार्यपालिका किसी भी व्यक्ति के अधिकार तय नहीं कर सकती है। जब तक नामित अधिकारी की जांच पर अंतिम निर्णय न हो और जब तक वक्फ संपत्ति के मालिकाना हक का फैसला वक्फ ट्रिब्यूनल पर हाईकोर्ट द्वारा न हो जाये ।तब तक वक्फ को उसकी संपत्ति से बेदखल नहीं किया जा सकता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि राजस्व रिकॉर्ड से जुड़े मामलों का अंतिम निपटारा होने तक किसी तीसरे पक्ष के अधिकार नहीं बनाये जायेंगे।
संपत्ति के अधिकार कार्यपालिका तय नहीं कर सकती
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी कलेक्टर या कार्यपालिका को संपत्ति के अधिकार तय करने की अनुमति देना शक्तियों के (सेप्रेशन ऑफ पॉवर) पृथक्करण के खिलाफ है। न्यायालय ने निर्देश दिया है कि जब तक धारा 3 (सी) के तहत वक्फ संपत्ति के मालिकाना हक का अंतिम फैसला वक्फ ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट से नहीं हो जाता है। तब तक न तो वक्फ को संपत्ति से बेदखल किया जायेगा, न ही राजस्व रिकॉर्ड से छेड़छाड़ होगी और साथ ही इस बीच किसी तीसरे पक्ष के अधिकार भी नहीं बनाये जायेंगे।
वक्फ में 5 साल वाली शर्त खारिज
मुख्य आपत्ति धारा 3(आर), 3(सी), 3(डी), 7 और 8 समेत कुछ धाराओं पर थी। इनमें से धारा 3(आर), के उस प्रावधान पर न्यायालय ने रोक लगा दी। जिसमें वक्फ बोर्ड का सदस्य बनने के लिये 5 साल तक इस्लाम का पालन करने की शर्त रखी गयी थी। न्यायालय ने कहा है कि जब तक सरकार इस पर स्पष्ट नियम नहीं बनाती। तब तक यह प्रावधान लागू नहीं होगा। वरना यह मनमाना साबित हो सकता है।
बोर्ड में 3 गैर मुस्लिम सदस्य ही होंगे
वक्फ बोर्ड की संरचना पर टिप्पणी करते हुए न्यायालय ने कहा है कि बोर्ड में अधिकतम 3 गैर मुस्लिम सदस्य ही हो सकते हैं। यानी 11 में से बहुमत मुस्लिम समुदाय से होना चाहिये और साथ जहां तक संभव हो बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मुस्लिम ही होना चाहिये। न्यायालय स्पष्ट किया है कि उसका यह आदेश वक्फ एक्ट की वैधता पर अंतिम राय नहीं है। न्यायालय ने साफ किया है कि पूरे कानून पर लगाने का कोई आधार नहीं है। लेकिन कुछ प्रावधानों पर अंतरिम सुरक्षा दी जा रही है। न्यायालय ने कहा है कि सामान्य तौर पर किसी कानून के पक्ष में संवैधानिक वैधता की धारणा रहती है।

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