ड्रोन दीदी योजना -दीदी ड्रोन फेल पूरे साल रही कमाई कमजोर, 90 प्रतिशत महिलायें घाटे में , किसान ड्रोन दीदी को बुलाने के बजाये ट्रैक्टर से करा रहे छिड़काव
भोपाल. ड्रोन दीदी योजना को लेकर किये गये दावे उड़ान भी नहीं पाये कि साल भर पहले जब योजना लांच हुई तो कहा गया था कि इससे महिलाओं को खासी कमाई होगी। लेकिन हकीकत यह है कि मध्यप्रदेश की 90 प्रतिशत ड्रोन दीदी घाटे में हैं। महज 10 प्रतिशत ने ही एक साल में एक लाख रूपये अधिक कमाये हैं।
यह बात इसलिये, क्योंकि मध्यप्रदेश सरकार की ओर 1 हजार से ज्यादा ड्रोन दीदी बनाने का प्रस्ताव केन्द्र का भेजा जा रहा है। इस प्रस्ताव के दौरा इस योजना का एनालायसिस किया गया तो सामने आया कि एक साल पहले जिन 89 महिलाओं को ड्रोन दीदी बनाया गया था उनमें से अधिक मुश्किल हालात का सामना कर रही है।
यह है सच्चाई
ड्रोन मिला, पर काम नहीं मिला, पूरे वर्षभर में 7 हजार का ही काम कटनी के बड़ावदा ब्लॉक की ड्रोन दीदी हेमलता विश्वकर्मा ने बताया कि उन्हें ड्रोन तो मिला। लेकिन ज्यादा काम नहीं मिला। ई-बाइक भी नहीं मिली। दूसरे गांव से ऑर्डर आते हैं। लेकिन जा नहीं पाते । ड्रोन की बैटरी महज 7-8 मिनट ही चलती है। 2 सेट दिये है, बैअरी के, लेकिन एक चार्ज नहीं होती है उसके पहले दूसरी बैटरी डिस्चार्ज हो जाती है।
मुरैना की ड्रोन दी खुश्बू लोधी ने बताया कि पूरे साल में 6-7 हजार रूपये का ही कर पाये। इस ड्रोन से में पेस्टिसाइड्स का छिड़काव नहीं कर सकते हें। ऐसे किसान बोलते हैं कि सिर्फ एक छिड़काव क लिये क्यों बुलायें। पूरे साल में 70 हजार रूपये की कमाई हुई है।
आय न होने की ये वजहें
ड्रोन दीदी के लिए 300 रुपए प्रति एकड़ रेट तय किया गया था, लेकिन आधा ही मिल रहा है।
सरकार से 100% सब्सिडी पर ड्रोन मिला है। लेकिन इसके बाद इस ड्रोन को चलाने के लिए एक सहयोगी की जरूरत होती है। उसका खर्च करीब 8 हजार रुपए महीना होता है। नियमित काम न हो तो खर्च नहीं निकल पाता।
बैटरी 15-20 मिनट ही चलती है। फिर नीचे उतारकर दूसरी बैटरी लगाना पड़ती है। इससे किसान चिढ़ जाते हैं।
विदेशों में ड्रोन का उपयोग इन कामों में
चाइना, जापान समेत तमाम देशों में ड्रोन से होम डिलीवरी की जा रही है।
दुबई सिंगापुर व अमेरिका में अवैध निर्माण की पहचान और ट्रैफिक मॉनिटरिंग हो रही है।
अफ्रीका, इंडोनेशिया, ब्राजील जैसे देशों में वनों की निगरानी, जंगली जानवरों की गिनती और पर्यावरण डेटा जुटाने में उपयोग।
रवांडा और घाना में स्वास्थ्य सेवाएं देने में और आपदा प्रबंधन में इनका उपयोग किया जा रहा है।
जहां दिक्कतें हैं उन्हें दूर कर रहे
ड्रोन दीदियों को अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। कुछ दीदी अच्छा कमा रही हैं। जहां दिक्कतें हैं, उनको दूर कर रहे हैं।
मनीष पवार, स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजर, एसआरएलएम