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ग्वालियर DRDE लैब ने दुनिया में परचम लहराया, केमिकल रक्षा उत्पाद तकनीक में अमेरिका के बाद भारत का दबदबा

ग्वालियर. रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना (DRDE) की लैब ने दुनिया में परचम लहराया है। केमिकल हमलों से बचाव करने वाले रक्षा उत्पादों की तकनीक के गुणवत्तापूर्ण परीक्षण में भारत अब विश्व में दूसरे नंबर पर है। अमेरिका यानि यूएस के बाद भारत की DRDE की लैब एशिया की पहली और दुुुनिया की दूसरी लैब होगी जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों पर खरा पाया गया है। मप्र के ग्वालियर स्थित DRDE की लैब रक्षा उत्पादों के निर्माण में काम करती है। इसी लैब को अंतराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्रदान की गई है। इंटरनेशनल (इलेक्ट्रोटेक्निकल कमीशन जो दुनियाभर की लैबोरेटरी को मान्यता प्रदान करती है) ने DRDE को मान्यता प्रदान की है। यह संस्था ISO  (इंटरनेशनल आर्गेनाइजेशन फॉर स्टैंड्राइजेशन) के तहत आती है। यह पूरा कार्य DRDE की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ मनीष साठे के नेतृत्व में हुआ है।

इस लैब द्वारा अभी तक 17 रक्षा उत्पाद बनाए गए हैं, जिसकी तकनीक के परीक्षण पर यह प्रमाण पत्र मिला है। इससे पूर्व राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (NABL) से भी DRDE  की लैब को मान्यता मिल चुकी है। DRDE की खुद की भी रिसर्च एंड डेवलपमेंट विंग है, जो तकनीक गुणवत्ता के मानकों को परखती है। NABL देश में मानकों को लागू कराने के लिए कार्य करती है।

इनका कहना है
केमिकल एजेंटों के विस्र्द्ध रक्षा तकनीक-उत्पाद तैयार करने के लिए DRDE  देश की इकलौती लैब है,जिसके रक्षा उत्पादों की परीक्षण तकनीक को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रत्यायन मिला है। अब दुनियाभर की रक्षा उत्पाद इंडस्ट्रीज भारत से क्वालिटी टेस्ट सिस्टम व तकनीक ले सकेंगी।
डा मनमोहन परीडा, निदेशक, डीआरडीई लैब, ग्वालियर

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