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जीवाजी विश्वविद्यालय के केमीकल खरीद घोटाला में पूर्व कुलपति समेत 12 आरोपियों को न्यायालय से मिली क्लीन चिट

ग्वालियर. जीवाजी विश्वविद्यालय (जेयू) के फॉर्मेसी विभाग में हुए केमीकल खरीद घोटाले से जुढ़े एक मामले में विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) ने पूर्व कुलपति समेत सभी 12 आरोपियों को क्लीन चिट दे दी है। न्यायालय ने आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा पेश की गयी खात्मा रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया है। यह मामला वर्ष 2009 में शुरू हुआ था। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि आरोपियों के खिलाफ पद के दुरूपयोग या वित्तीय अनियमितता के कोई ठोस सबूत नहीं मिले है। ईओडब्ल्यू ने कई वर्षो की जांच के बाद यह खात्मा रिपोर्ट न्यायालय में पेश की थी। जांच के दौरान ईओडब्ल्यू ने पाया कि प्रयोगशाला सामग्री की खरीद विश्वविद्यालय की वित्तीय नियमावली के अंतर्गत की गयी थी। सभी खरीद प्रक्रियायें खुले निविदा आमंत्रण और अनुमोदित दरों के अनुसार पूरी की गयी थी। विशेष न्यायाधीश ने ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं है जिससे यह सिद्ध हो सके कि आरोपियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर किसी कंपनी या व्यक्ति को अनुचित लाभ पहुंचाया। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि शिकायतकर्ता की पहचान और पता भी सही रूप में सत्यापित नहीं हो सका, और वर्षों की जांच के बाद भी आरोपों का समर्थन करने वाला कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं मिला।
क्या है मामला
जीवाजी विश्वविद्यालय (जेयू) के फॉर्मेसी विभाग में हुए केमीकल खरीद घोटाले से जुढ़े मामला वर्ष 2009 में शुरू हुआ था, जिसमें विश्वविद्यालय की फार्मेसी प्रयोगशाला के लिए उपकरणों और रसायनों की खरीद में 3 लाख 27 हजार 327 रुपए की आर्थिक अनियमितता की शिकायत की गई थी। ईओडब्ल्यू ने इस शिकायत के आधार पर 2013 में तत्कालीन पूर्व कुलपति एके कपूर, वित्त अधिकारी एमके सक्सेना सहित कुल 12 लोगों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था।
इन्हें बनाया गया था आरोपी
जीवाजी विश्वविद्यालय तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर एके कपूर, तात्कालीन वित्त अधिकारी एमके सक्सैना, तात्कालीन संयोजक राजेश जैन, डॉ. डीएन सक्सैना, आईके पात्रो, डॉ. जीबीकेएस प्रसाद, प्रो. डीसी तिवारी, डॉ. नलिनी श्रीवास्तव समेत अन्य दोषियों पर एफआईआर दर्ज की गयी थी।

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