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SDO के आदेश को हाईकोर्ट ग्वालियर ने किया रद्द, 90 दिन में दोबारा सुनवाई के निर्देश

ग्वालियर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच की एकल पीठ अहम टिप्पणी करते हुए उपखंड अधिकारी (एसडीओ) के आदेश को रद्द कर दिया है। न्यायालय ने कहा है कि किसी भी प्रशासनिक या अर्द्धन्यायिक आदेश में कारणों का उल्लेख अनिवार्य है। वजह आदेश की आत्मा होता है, बिना वजह दिया गया निर्णय न्यायिक नहीं कहा जा सकता है। मामला दतिया जिले की सेंवढ़ा तहसील के ग्राम पेपरी में भूमि आवंटन विवाद से जुड़ा है। इस संबंध में एसडीओ, अतिरिक्त कलेक्टर दतिया और अतिरिकत आयुक्त ग्वालियर द्वारा पारित आदेशों में स्पष्ट वजहों का उल्लेख नहीं था। हाईकोर्ट ने इन सभी आदेशों को निरस्त करते हुए प्रकरण को दोबारा सुनवाई के लिये वापिस भेज दिया है।
क्या है मामला
यह मामला श्रीलाल बनाम अतिरिक्त आयुक्त ग्वालियर एवं अन्य शीर्षक से दर्ज था। रिकॉर्ड के अनुसार साल 1999 में नायब तहसीलदार ने ग्राम पेपरी की सरकारी भूमि खसरा 202 और 205 का आवंटन एक व्यक्ति को कर दिया था। याचिकाकर्त्ता श्रीलाल का कहना था कि वह वर्षो से इस भूमि पर काबिज है। लेकिन उन्हें इस आदेश की जानकारी वर्ष 2006 में मिली थी। इसके बाद उन्होंने विलंब माफी का आवेदन देकर अपील दायर की थी।
90 दिनों में नया आदेश देने के निर्देश
कोर्ट ने एसडीओ को निर्देश दिया है कि वे सभी पक्षों को सुनकर 90 दिनों के भीतर एक नया तर्कसंगत और कारणयुक्त आदेश पारित करें।

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