
नई दिल्ली. मई 2025 में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर से दुनिया को अपनी सैन्य ताकत और तकनीकी दमखम दिखा दिया। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जबाव में भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों को बर्बाद कर दिया था। इस ऑपरेशन में स्वदेशी हथियारों, जैसे ब्रह्मोस मिसाइल, आकश डिफेंस सिस्टम और ड्रोन्स सिस्टम और ड्रोन्स ने कमाल कर दिखाया। यह तो बस शुरूआत थी। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने अपनी युद्ध योजनाओं को और मजबूत करने के लिये नये और शक्तिशाली हथियारों पर काम शुरू कर दिया है। भारत के यह नये हथियार क्या है। इनसे हमारी सेना कितनी ताकतवर हो रही है।
सबसे पहले, थोड़ा सा ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जान लें। अप्रेल 2025 में जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने 22 लोगों की हत्या कर दी। इसके जवाब में भारत ने 6-7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था।
भारतीय वायुसेना ने रॉफेल जेट्स ब्रह्मोस मिसाइलों और आत्मघाती ड्रोन्स का उपयोग करे पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों को तबाह करन दिया। 100 से अधिक आतंकी मारे गये। 11 पाकिस्तानी एयरबेस और रडार सिस्टम नष्ट हुए। सबसे खास बात, भारतीय सेना को कोई नुकसान नहीं हुआ। इस ऑपरेशन ने न सिर्फ भारत की सैन्य ताकत दिखाई । बल्कि यह भी साफ कर दिया कि अब भारत आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रहा है। पाकिस्तान और चीन की चुनौतियों को देखते हुए भारत अब अपनी सेना को और अजेय बनाने के लिये नये हथियारों पर काम कर रहा है।
भारत के नये हथियार, क्या क्या है
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने अपनी सैन्य ताकत को कई गुना बढ़ाने का फैसला किया। डीआरडीओ भारतीय नौसेना और निजी कंपनियां मिलकर ऐसे हथियार बना रही है। जो भविष्य के युद्धों में गेम-चेंजर साबित होंगे।
प्राइम मिसाइलें-दुश्मनों के लिये खतरा बनेगी
लांग रेंज एंटी-शिप मिसाइल- डीआरडीओ और भारतीय नौसेना ने मिलकर एक ऐसी मिसाइल बनाई है। जिसे कैरियर किलर कहते हैं। यह मिसाइल समुद्र में 1 हजार किमी से अधिक दूरी पर दुश्मन के युद्धपोतों और एयरक्राफ्ट कैरियर्स को नष्ट कर सकती है। इसे जाम करना नामुमकिन है।
ब्रह्मोस- यह हाइपरसोनिक मिसाइल है। इसकी रेंज 15 किमी है। यानी दिल्ली से इस्लामाबाद या दक्षिण चीन सागर तक के ठिकाने सेकेण्डों में नष्ट हो सकते हे। यह रडार से बच निकलती है। जिससे दुश्मन की डिफेेंस सिस्टम बेकार हो जाती है।

रुद्रम-2 और रुद्रम-3: ये एंटी-रेडिएशन मिसाइलें हैं, जो दुश्मन के रडार, एयर डिफेंस सिस्टम और कम्युनिकेशन सेंटर्स को तबाह करती हैं. इन्हें Su-30MKI और AMCA जैसे फाइटर जेट्स से दागा जा सकता है।
आकाश और QRSAM: आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जो 25 किलोमीटर तक दुश्मन के ड्रोन और विमानों को मार गिराती है. QRSAM (क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल) 30 किलोमीटर तक के खतरों को खत्म करती है. ऑपरेशन सिंदूर में इनका जलवा देखने को मिला।
2. युद्धपोत: समुद्र में भारत का दबदबा
नई पनडुब्बियां और युद्धपोत: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय नौसेना अपनी ताकत बढ़ा रही है. मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) को 1.06 लाख करोड़ रुपये का ठेका मिला है, जिसके तहत 3 नई स्कॉर्पीन पनडुब्बियां बनेंगी. ये 60% स्वदेशी तकनीक से बनेंगी और 6-8 साल में तैयार होंगी ।
INS विक्रांत और विशाखापट्टनम: भारत के स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत और युद्धपोत INS विशाखापट्टनम ड्रोन्स और मिसाइलों से लैस हैं. ये अरब सागर और हिंद महासागर में भारत की ताकत बढ़ा रहे है।
4000-5000 करोड़ का निवेश: MDL मुंबई में 10 एकड़ जमीन पर दो नए बेसिन बना रहा है। जहां बड़े युद्धपोत और पनडुब्बियां बनेंगी. इससे 2047 तक स्वदेशी नौसेना का सपना पूरा होगा ।

3. रडार: दुश्मन की हर हरकत पर नजर
• स्वदेशी AESA ‘उत्तम’ रडार: ये रडार AMCA स्टेल्थ फाइटर जेट्स में लगेगा. ये दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को दूर से पकड़ लेता है. हालांकि, अभी इसकी प्रोडक्शन क्षमता 24 यूनिट्स प्रति साल है, लेकिन HAL और BEL इसे बढ़ाने पर काम कर रहे है।
• D4S एंटी-ड्रोन सिस्टम: ये सिस्टम ड्रोन्स को इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग और लेजर से मार गिराता है. ऑपरेशन सिंदूर में इसने पाकिस्तान के 307 ड्रोन्स को पकड़ा और नष्ट किया है।
• AEW&C रडार: ये हवा में निगरानी रखने वाला रडार है, जिसने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान की सुपरसोनिक CM-400AKG मिसाइल को ट्रैक और नष्ट किया है।

4. किलर ड्रोन्स: युद्ध का भविष्य
स्विफ्ट-के कामिकेज ड्रोन: बेंगलुरु की DRDO-ADE लैब में बन रहा ये ड्रोन 735 किमी/घंटा की रफ्तार से उड़ता है. स्टील्थ तकनीक की वजह से रडार इसे पकड़ नहीं पाते. ये दुश्मन के हवाई डिफेंस सिस्टम को नष्ट कर सकता है।
MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन: भारत ने अमेरिका से 31 हंटर-किलर ड्रोन्स खरीदे हैं, जिनकी कीमत 32,000 करोड़ रुपये है. ये ड्रोन लद्दाख, अरुणाचल और हिंद महासागर में निगरानी और हमले के लिए तैनात होंगे ।
TAPAS-BH और वारहॉक: TAPAS-BH स्वदेशी निगरानी ड्रोन है, जो हिंद महासागर में तैनात है. वारहॉक AI-पावर्ड किलर ड्रोन है, जिसका लक्ष्य 2027 तक तैयार होना है।
लॉइटरिंग म्यूनिशन्स: ये आत्मघाती ड्रोन है। जो दुश्मन के ठिकानों पर मंडराते हैं. सटीक हमला करते हैं. ऑपरेशन सिंदूर में स्काईस्ट्राइकर ड्रोन्स ने कमाल दिखाया है।
5. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI): स्मार्ट युद्ध
• AI-पावर्ड टैंक और ड्रोन: भारत AI से लैस टैंक और ड्रोन्स बना रहा है. वारहॉक ड्रोन में सेंसर-फ्यूजन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होगा, जो इसे और घातक बनाएगा ।
• रियल-टाइम निगरानी: AI की मदद से ड्रोन्स और सैटेलाइट्स रियल-टाइम में दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखते है। ऑपरेशन सिंदूर में ISRO की सैटेलाइट्स ने अहम रोल निभाया है।
• CLAWs लेजर डिफेंस: ये लेजर हथियार ड्रोन्स, माइक्रो मिसाइलों और मोर्टार को हवा में ही नष्ट कर देता है।
कैसे काम करते हैं ये हथियार?

मिसाइलें: ब्रह्मोस-2 और रुद्रम मिसाइलें इतनी तेज हैं कि दुश्मन को रिएक्ट करने का मौका ही नहीं मिलता. ये रडार से बचती हैं. सटीक निशाना लगाती हैं. जैसे, ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस ने आतंकी ठिकानों को पलभर में तबाह कर दिया है।
युद्धपोत: INS विक्रांत जैसे विमानवाहक पोत ड्रोन्स और फाइटर जेट्स को समुद्र में ले जा सकते हैं. ये दुश्मन की नौसेना को दूर से ही खत्म कर सकते है।
रडार: ‘उत्तम’ और AEW&C रडार दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को सैकड़ों किलोमीटर दूर से पकड़ लेते हैं. ऑपरेशन सिंदूर में S-400 और D4S ने पाकिस्तान के ड्रोन्स और मिसाइलों को नाकाम कर दिया है।
ड्रोन्स: स्विफ्ट-के और MQ-9B जैसे ड्रोन्स निगरानी और हमले दोनों कर सकते हैं. ये इतने स्मार्ट हैं कि AI की मदद से खुद फैसले ले सकते है।
AI: ये तकनीक सेना को रियल-टाइम जानकारी देती है, जैसे दुश्मन कहां है, उसका हथियार क्या है. इससे हमारी सेना तेज और सटीक हमले कर सकती है।
क्यों जरूरी हैं ये नए हथियार?
ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया कि भारत अब आतंकवाद और दुश्मनों के खिलाफ सख्त रुख अपना रहा है। लेकिन पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों की चुनौतियां कम नहीं हैं. चीन की सुपरसोनिक मिसाइलें और पाकिस्तान के ड्रोन्स भारत के लिए खतरा है।
सुरक्षा: ब्रह्मोस-2 और S-400 जैसे हथियार दुश्मन की किसी भी हरकत को पलटवार करने के लिए तैयार हैं.
आत्मनिर्भरता: भारत अब विदेशी हथियारों पर कम निर्भर है. स्विफ्ट-के, TAPAS-BH और आकाश जैसे हथियार ‘मेक इन इंडिया’ का हिस्सा है।
वैश्विक ताकत: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के हथियारों की डिमांड बढ़ी है. कतर, लेबनान और जापान जैसे देश भारत से मिसाइलें, रडार और बुलेटप्रूफ जैकेट्स खरीद रहे है।
भविष्य के युद्ध: ड्रोन्स, AI और लेजर हथियार भविष्य के युद्धों में गेम-चेंजर होंगे. भारत इनका इस्तेमाल करके दुनिया की टॉप सेनाओं में शामिल हो रहा है।
आगे क्या?
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत को एक नया आत्मविश्वास दिया है. अब सरकार और डीआरडीओ मिलकर रक्षा बजट को GDP का 2.5% करने की योजना बना रहे हैं. साथ ही…
• 87 MALE ड्रोन्स: भारत 20,000 करोड़ रुपये में 87 स्वदेशी ड्रोन्स खरीदेगा, जो पाकिस्तान और चीन की सीमाओं पर निगरानी करेंगे ।
• AMCA स्टील्थ फाइटर: पांचवीं पीढ़ी का ये फाइटर जेट 2030 तक तैयार होगा ।
• प्रोजेक्ट कुशा: ये स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम S-400 की तरह 350 KM तक के खतरों को रोकेगा ।
• रक्षा निर्यात: भारत का लक्ष्य 2024-25 तक 36,500 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात है। ब्रह्मोस और आकाश मिसाइलें दुनिया में छा रही हैं।
तो, क्या भारत अब सुपरपावर है?
ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया को बता दिया कि भारत अब सिर्फ जवाब देने वाला देश नहीं, बल्कि पहले से तैयार रहने वाला देश है. ब्रह्मोस, स्विफ्ट-के, S-400 और AI जैसे हथियार भारत को न सिर्फ सुरक्षित बनाएंगे, बल्कि वैश्विक सैन्य शक्ति के रूप में भी स्थापित करेंगे । अगली बार जब कोई दुश्मन भारत की तरफ आंख उठाएगा, तो उसे पता होगा कि भारत की सेना और उसके हथियार किसी भी चुनौती को पलटने के लिए तैयार है।. तो, तैयार हो जाइए एक ऐसे भारत के लिए, जो न सिर्फ अपनी रक्षा करेगा, बल्कि दुनिया को अपनी ताकत का अहसास भी कराएगा ।