Gwalior हाई कोर्ट में आंबेडकर प्रतिमा विवाद मामले में शहर में लगे पोस्टर
ग्वालियर. हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ परिसर में आंबेडकर प्रतिमा लगाने को लेकर विवाद अब आंबेडकर बनाम बीएन राव तक पहुंच गया है। एक तरफ जहां कांग्रेस ने दिल्ली तक इस मुद्दे को उठाते हुए आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा की विचारधारा से जुड़े लोग व वकील आंबेडकर विरोधी होने के कारण प्रतिमा नहीं लगने दे रहे हैं। वहीं ग्वालियर से जुड़े वकीलों ने हाल ही में दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में बीएन राव को संविधान निर्माता बताते हुए पर्चे बांट दिए थे।
यह मुद्दा अब उस समय जोर पकड़ रहा है, जब शनिवार को सामाजिक न्याय मंच के बैनर तले ग्वालियर में हुए कार्यक्रम में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह सहित कई नेताओं ने आरोप लगाया कि संघ की शह पर ही राव के समर्थन में अभियान चलाया जा रहा है। वहीं कार्यक्रम के बाद रात में बीएन राव के फोटो के साथ शहर में कई जगह पोस्टर लगाए गए हैं। पोस्टर लगाने वाले सामाजिक न्याय रक्षा मोर्चा के सचिव अमित दुबे का कहना है कि यह जागरूक करने के लिए हैं। लोगों को पता होना चाहिए कि संविधान के निर्माण ने किसी एक व्यक्ति का नहीं, राष्ट्र के कई विद्वानों का योगदान था।
यह लिखा है होर्डिंग्स में
सामाजिक न्यायमंच रक्षा मोर्चा ने जो होर्डिंग लगाए हैं, उनमें लिखा है कि संविधान है कई बुद्धिजीवियों का विधान, फिर क्यों होता एक व्यक्ति का गुणगान। संविधान में राष्ट्र के कई बुद्धजीवियों का विधान है। संविधान सभा के अध्यक्ष डा. राजेंद्र प्रसाद, अखंड भारत का निर्माण करने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल एवं 375 आर्टिकल में से 243 आर्टिकल लिखने वाले बीएन राव क्यों गुमनाम। इन होर्डिंग्स में सभी के फोटो भी लगे हैं।

