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महंगाई राहत मिलने का मिला-जुला असर, डीआर मिलने से खुश पर देर से देने से नाराज पेंशनर

भोपाल. राज्य सरकार ने 7.50 लाख कर्मचारियों को महंगाई भत्ता (डीए) देने के बाद प्रदेश के 4.50 लाख पेंशनरों को महंगाई राहत (डीआर) भी दे दी है। दिवाली से पहले डीआर मिलने से पेंशनर खुश भी हैं और 9 माह देरी से लागू करने से नाराज भी। दरअसल, सरकार ने डीए तो 1 जनवरी 2024 से दिया है पर डीआर अक्टूबर 2024 से दी है। यानी पेंशनरों को 9 माह के एरियर का नुकसान हुआ है। ऐसा ही पिछली बार भी हुआ था, जिससे पेंशनर राज्य सरकार से खासे नाराज हैं।
प्रमुख पेंशनर्स एसोसिएशन के कार्यकारी प्रांताध्यक्ष एलएन कैलासिया कहते हैं कि ये तो राज्य सरकार की सोच है। जब केंद्र सरकार अपने पेंशनर और कर्मचारियों को समान तारीख से समान राशि की बढ़ोत्तरी करती है, तो राज्य सरकार को उसे कम नहीं करना चाहिए। क्योंकि सरकार कभी ज्यादा या तय तारीख से पहले तो कोई लाभ देती नहीं है। वे कहते हैं कि पेंशनर भी एक समय में सरकार के प्रमुख अंग रहे हैं। ये वही लोग हैं जिन्होंने मध्य प्रदेश का विकासशील राज्य बनाने में सरकार का बराबर से सहयोग किया है। आज उन्हीं की अनदेखी की जा रही है, जब सरकार के पास दूसरे कामों के लिए पैसा है, तो पेंशनरों के लिए क्यों नहीं है इतनी सी राशि बचाकर आखिर सरकार कर क्या लेगी।
कैलासिया कहते हैं कि हम कब से मांग कर रहे हैं कि 24 साल पहले शुरू की गई छत्तीसगढ़ से सहमति लेने की प्रथा को बंद कर देना चाहिए, पर सरकार सुने तब ना। मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 (6) के नाम पर मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ सरकारें पेंशन या डीए में वृद्धि के प्रस्ताव अनावश्यक रूप से एक-दूसरे को भेजकर सहमति लेती हैं। इसी में महीनों निकल जाते हैं। जबकि उक्त धारा में आपसी सहमति का कोई उल्लेख भी नहीं है। महीनों बाद सहमति बनती है, तब तक पेंशनर का काफी घाटा हो चुका होता है, क्योंकि फिर तय तारीख से पेंशन लागू नहीं की जाती और उस अवधि का एरियर भी नहीं दिया जाता।

 

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