भारत की अमेरिका संग हुई मेगा डील, आकाश और समुद्र की रक्षा के लिये गार्जियन खरीदेगा भातर, कोलकाता में लगेगा सेमीकंडक्टर प्लांट
नई दिल्ली. पीएम नरेन्द्र मोदी 3 दिवसीय अमेरिका की यात्रा पर है। उन्होंने क्वॉड समिट में शिरकत की। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ एक अहम द्विपक्षीय भी की। इस बैठक में दोनों नेताओं ने वैश्विक और रणनीतिक गठबंधन को और मजबूत करने पर बात की है। भारत ने अमेरिका से आकाश और समुद्र की सुरक्षा के लिये एमक्यू-9बी गार्जियन ड्रोन खरीदा है जो कि मेगाडील में शामिल है।
खासतौर पर रक्षा सहयोग पर केन्द्रित इस बैठक में दोनों नेताओं ने कई अहम समझौतों पर बातचीत की। जो भारत-अमेरिका की शांति और सुरक्षा को मजबूत करेंगे।
MQ-9B ड्रोन की खरीदारी
पीएम मोदी के साथ बैठक में राष्ट्रपति बाइडेन भारत द्वारा द्वारा 31 MQ-9B ड्रोन की खरीदारी के लिए सराहना की. इन एडवांस्ड ड्रोन्स से भारत की इंटेलिजेंस, सर्विलांस, और रिकोनाइसेंस (ISR) क्षमताओं में वृद्धि होगी । इनमें 16 ड्रोन्स स्काई गार्डियन (हवाई सुरक्षा के लिए) और सी गार्डियन (समुद्री सुरक्षा के लिए) है। इस कदम से भारत के सुरक्षा बलों को धरती, समुद्र और वायु क्षेत्र में मजबूत करने में मदद मिलेगी ।
सेमीकंडक्टर प्लांट
प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ने कोलकाता में एक नए सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट स्थापित करने पर चर्चा की, जिसका दोनों देशों के बीच नेशनल सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए एडवांस्ड सेंसिंग, कम्युनिकेशन और नेक्स्ट जेनरेशन के टेलीकम्युनिकेशन और ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने पर फोकस है। पीएम मोदी ने कहा कि इस कदम से भारत को सेमी, थर्डटेक और यूएस स्पेस फोर्स के बीच रणनीतिक टेक साझेदारी से सक्षम किया जाएगा ।
एडवांस्ड मिलिट्री सिस्टम का को-प्रोडक्शन
दोनों नेताओं ने इंडिया-अमेरिका डिफेंस इंडस्ट्रियल कोऑपरेशन रोडमैप को सराहा. इस रोडमैप के तहत जेट इंजन, गोला-बारूद और ग्राउंड मोबिलिटी सिस्टम जैसे भारी एक्वीपमेंट्स और हथियारों का निर्माण किया जाता है। इस अहम सहयोग में लिक्विड रोबोटिक्स और भारत के सागर डिफेंस इंजीनियरिंग, मेरिटाइम सुरक्षा को बढ़ाने के लिए मानवरहित सतही वाहनों के प्रोडक्शन पर भी जोर दिया जाएगा।
MRO इकोसिस्टम
भारत में रक्षा संबंधी उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए पीएम मोदी ने MRO सेक्टर यानी कि मेंटेंनेंस, रिपेयर और ओवरहॉलिंग क्षेत्र में जीएसटी की दरों को 5 फीसदी कम कर दिया है। इससे इस क्षेत्र में अमेरिकी कंपनियों के आने की उम्मीद है। अमेरिकी कंपनियों ने भारत में MRO सेक्टर में बदलाव का वादा किया है। अमेरिकी कंपनियां मानव रहित यान की मरम्मत की सुविधा भारत में विकसित करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश करना चाहती है।