तथ्यों के पीछे छिपे सत्य को उजागर करने के लिए साक्ष्य निभाते हैं महत्वपूर्ण भूमिका : एडीजी श्री गोस्वामी
विवेचना में मेडिकल परीक्षण की महत्ता पर चिकित्सको, फॉरेंसिक एक्सपर्ट और पुलिस अधिकारियों ने रखे विचार
भोपाल, द प्रैकेडमिक एक्शन रिसर्च इनिशिएटिव फॉर मल्टीडिसिप्लिनरी एप्रोच लैब (परिमल) और जस्टिस इंक्लूशन एंड विक्टिम एक्सेस (जीवा) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “जीवा कार्यशाला” का दूसरा दिन महिला एवं बाल अपराध, कानून के प्रावधानों और विवेचना में निष्पक्षता पर आधारित रहा। कार्यशाला में पुलिस अधिकारियों, कानून के जानकारों, समाजसेवियों और विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए।
पुलिस मुख्यालय स्थित पुलिस ऑफिसर्स मेस के पारिजात हॉल में आयोजित इस कार्यशाला के पहले सत्र में उत्तर प्रदेश पुलिस के एडीजी जीके गोस्वामी ने विस्तार से साक्ष्यों को जुटाने और उनकी कड़ी से कड़ी जोड़कर माननीय न्यायालय में प्रस्तुत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विवेचना के दौरान पारदर्शिता रखें ताकि पीड़ितों को उचित न्याय मिल सके और किसी निर्दोष को सजा न हो। कार्यक्रम में विशेष रूप से एडीजी (ट्रेनिंग) श्रीमती अनुराधा शंकर प्रमुख रूप से उपस्थित थीं। कार्यशाला के सभी सत्रों का संचालन परिमल के सचिव एवं डीसीपी डॉ. विनीत कपूर ने किया।
सत्य के आधार पर ही न्याय पर पहुंचा जा सकता है : श्री गोस्वामी
सत्र के आरंभ में उत्तर प्रदेश पुलिस के एडीजी डॉ. जी. के. गोस्वामी ने कहा कि किसी भी अप्रिय घटना के दौरान पीड़ित सबसे पहले न्याय की मांग करता है। न्याय पाने के लिए सबसे पहले हमें उसकी सच्चाई तक पहुंचना होता है। इसमें जरूरी है सबूत। तथ्यों के पीछे छिपे सच को उजागर करने में साक्ष्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सत्य की बिना पर ही हम न्याय तक पहुंचेंगे। उन्होंने “जेआरएफ” शब्द को न्याय के रूप उल्लेखित करते हुए कहा कि यहां जे का अर्थ है जस्टिस। काम ऐसा हो कि किसी के साथ अन्याय ना हो। “आर” का अर्थ है रीजनल। हम कोई भी बात कहें तो उसमें तर्क हो। अदालतों में केवल तर्क दिए जाते हैं। इसी के आधार पर अधिवक्ता, जज को कन्वेंस करने का प्रयास करते हैं तभी न्याय तक पहुंचा जाता है। “एफ” का अर्थ है फेयरनेस यानी पारदर्शिता।