पर्यावरण दिवस पर परिचर्चा-पेड़ की हरितमा और छाया में पक्षी शरण लेते है, जिससे कई पक्षियों को जिंदगी नसीब होती है
ग्वालियर दूसरों को दोष देने से अच्छा है कि प्रत्येक नागरिक पर्यावरण संरक्षण को अपना कर्तव्य माने और अपने घर से इसकी शुरुआत करें। उक्त विचार नागरिकी के उन्नयन के लिए समर्पित संस्था संस्कार मंजरी द्वारा पर्यावरण दिवस पर आयोजित ई परिचर्चा में नगर के प्रसिद्ध न्यूरो सर्जन डॉक्टर अविनाश शर्मा ने कहीं। उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह घर में जगह कम होने पर उन्होंने अपने घर के पास की सड़कों पर डेढ़ दो सौ वृक्ष लगाकर पूरे वातावरण को हरीतिम कर दिया, जिस पर आज हजारों पक्षी शरण लेते हैं।
प्रमुख प्रतिभागी के रूप में नगर के प्रसिद्ध पर्यावरणविद् राज चड्ढा ने कहा की पक्षी है तो वन है वन है तो जीवन है तो पक्षियों का जीवन बचाने के लिए उन्हें दाना पानी देना हमारी संस्था का उद्देश्य है और जिसके माध्यम से हम भारत में ही नहीं अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी संख्या में पक्षियों का जीवन बचाने में सफल हो पाए हैं।
कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन संस्कार मंजरी की संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक नीलम जगदीश गुप्ता ने किया। सभी प्रतिभागियों ने अपनी उपलब्धियों की चर्चा की और साथ में आने वाली अड़चनों से वह कैसे जीते यह अनुभव साझा किया ।
पेड़ पौधों से प्रेम करने वाली नगर की ही प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ वीरा लोहिया ने कहा कि ईश्वर ने सृष्टि की सुंदर संरचना की, मानव ने अति उत्साह में, अति शक्तिशाली रूप में, नए अविष्कार से सृष्टि के साथ खिलवाड़ और छेड़छाड़ की और आज वह अपने ही जाल में फंस गया है।
नगर के समाजसेवी शिक्षक और साइकिलिस्ट अजय पाटिल ने कहाकि जहां तक संभव है मैं साइकिल से ही चलने का प्रयास करता हूं यदि हफ्ते में हम सब एक दिन साइकिल ही चलाएंगे यह प्रतिज्ञा लें तो वातावरण में बहुत सुधार आ जाएगा।
नगर की पुरातत्व संपदा प्रेमी के रूप में अपनी पहचान बना चुकी रानू नाहर ने कहा यद्यपि आज बहुत सी संस्थाएं इस क्षेत्र में काम कर रही हैं किंतु हम बाहर खड़े होकर देखते न रहे बल्कि उसमें सहभागी बनें । तो निश्चित तौर पर हम अपने पर्यावरण को निर्मल रख पाएंगे ।और यह निर्मल पर्यावरण हमारे ही भविष्य के लिए उपयोगी है।
मिशन 100 करोड़ वृक्ष भारत से जुड़ी एवं कचरा प्रबंधन कि कार्यकर्ता प्रीति झा एक कविता के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत की है उन्होंने कहा
जीवन का श्रंगार पेड़ है, जीवन का आधार पेड़ है
कैसे कह दूं तू ना मेरा, माटी का श्रंगार पेड़ है
बीज जो तूने डाला, मैंने अपने दामन रखा।
धूप छांह तोहे लागन लागी, पवन भेज तोहे सहलाया
नो प्लास्टिक आंदोलन की कर्ता.धर्ता प्रकृति प्रेमी पम्मी शर्मा ने कहा प्लास्टिक के दानव से प्रकृति मां को बचाना हमारा उत्तरदायित्व है। तभी हम पृथ्वी ग्रह के परियों जैसे सुंदर पर्यावरण को सुरक्षित रख पाएंगे। इसके लिए जब तक हम लोग नोप्लास्टिक का नारा वास्तविक कार्य व्यवहार में नहीं अपनाएंगे ।तब तक कुछ भी सुधार संभव नहीं है।
नगर की ही उपभोक्ता फोरम की सदस्य श्रीमती आभा मिश्रा ने उपभोक्तावाद को मर्यादित करने पर जोर देते हुए कहा .हमें उन तकनीकों को जानना चाहिए ।और उनका प्रयोग करना चाहिए। इस तरह हम फालतू कचरे से बच सकते हैं और पर्यावरण संरक्षण में एक बड़ा योगदान दे सकते हैं।
पर्यावरण.दिवस की शुभकामनाएं देते हुए नगर के एक श्रेष्ठ कवि के रूप में स्थापित पर्यावरण प्रेमी सुधीर कुशवाह ने कहा .शहरीकरण ने हमारे असली जीवन को मार दिया है इसलिए हमें गांव की सुरक्षा करनी चाहिए। गांव ही हमारे जीवन को अंततः समृद्ध करेगा ।यह बात हमें अंतिम चेतावनी की तरह लेना चाहिए कि यदि हमारा पर्यावरण दूषित होगा तो हमारी आने वाली नस्लों का जीवन भी विषैला हो जाएगा। इसलिए जितना संभव हो सादा जीवन अपनाएं ।
सभी प्रतिभागियों का आभार करते हुए संयोजक श्रीमती नीलम जगदीश गुप्ता ने कहा कि हम आशा करते हैं कि हमारे जीवन पर्यावरण के लिए न केवल समर्पित रहेंगे बल्कि से समाज के लिए भी प्रेरणा बनेंगे।

