विक्टोरिया मार्केट के पीछे कॉम्पलेक्स में लगी, 10 वर्ष पूर्व हुए विक्टोरिया मार्केट में लगी आग की याद दिलाई
ग्वालियर. महाराज बाड़े स्थित विक्टोरिया मार्केट के ठीक पीछे बनी 3 मंजिला इमारत कृष्णा कॉम्पलेक्स में गुरूवार की दोपहर आग लग जाने से आसपास के लोगों में हड़कम्प मच गया। आग सबसे पहले कॉम्पलेक्स के तलघर में स्थित स्टेशनरी की दुकान में लगी। यहां शॉर्ट सर्किट के बाद आग धधक उठी। देखते देखते आग ने लपटों का रूप धारण कर लिया, तलघर में बनी अन्य दुकानों के बाहर रखे सामान तक पहुंच गयी। दुकानदार अपनी जान बचाने के लिये बाहर की ओर भागें। सबसे पहले फायर ब्रिगेड को बुलाया गया और महाराज बाड़े पर खड़ी फायर ब्रिगेड पहुंची और आग बुझाना शुरू कर दिया, कुछ ही देर में एक के बाद एक 6 गाडि़यां आई। लगभग 2 घंटे की मेहनत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। आग लगने से तलघर में रखा लाखों रूपये का सामान जल गया।
गुरूवार को हुई अग्निकांड ने आज से 10 वर्ष पूर्व विक्टोरिया मार्केट में लगी का नजारा लोगों की आंखों के सामने ला दिया। ठीक 10 वर्ष पूर्व 4 जून 2010 को विक्टोरिया मार्केट में भीषण अग्निकांड हुआ था। कृष्णा कॉम्पलेक्स के तलघर में दुकान चलाने वाले महेश कुमार की दुकान में आग लगी थी। इसके अलावा राजेन्द्र बरैया और घनश्याम दास लोधवानी की दुकान में भी आग लगी थी।
कोतवाली टीआई विवेक अष्ठाना ने बताया कि गुरूवार में वह दुकान पर नहीं थे। उनका कर्मचारी दुकान पर बैठा था तभी अचानक बिजली के तारों में शॉर्ट सर्किट हुआ। इस दुकान के पास में प्लास्टिक का गोदाम है। इसके बाहर आग पहुंच गयी। फायरब्रिगेड की गाड़ी आने से पहले पानी फेंका गया। लेकिन धुआं बहुत था। इसलिये सीधे लपटों तक पानी नहीं पहुंच रहा था। फिर फोम फेंका गया, इसके बाद फिर पानी डाला गया। वहीं, घटना की जानकारी मिलते ही क्षेत्रीय विधायक प्रवीण पाठक और चेम्बर के पदाधिकारी भी मौके पर पहुंच गये।
दीवार तोड़ी तब जाकर आग पर काबू पाया
तलघर के भीतर जाने का रास्ता बहुत ही संकरा था धुआं निकलने की भी जगह नहीं थी इस कारण से दमकल कर्मी अन्दर नहीं पा रहे थे। वह पहली मंजिल पर सीढी लगाकर चढ़े फिर दीवार तोड़ी इसके बाद धुआं जब ऊपर की ओर निकला तब आग बुझ पाई।
तो बड़ा हादस हो जाता
अगर इमारत की पहली और दूसरी मंजिल तक आग पहुंच जाती तो बड़ा हादसा हो जाता । पहली मंजिल पर कई दुकानें हैं और इसके आसपास भी होटल और दुकानें है। सारी इमारत एक दूसरे से सटी हुई है। यहां घर भी बने हुए हैं।

