ज्ञान और शौर्य का मिलाजुला संगम स्थल है यह शौर्य स्मारक–संतश्री प्रवीणनाथ

ग्वालियर श्रीनाथ संप्रदाय के महंत श्री प्रवीण नाथ महाराज जी आज सुबह कारगिल शहीद सरमन सिंह पार्क जेल रोड पर पहुंचे और उन्होंने वहां नवनिर्मित कारगिल युद्ध शौर्य स्मारक का अवलोकन किया। कारगिल की टाइगर पहाड़ी की आकृति को भी उन्होंने देखा जो टायगर पहाड़ी के आकार की बनाई गई है एवं उसके ऊपर सरमन सिंह की प्रतिमा स्थापित की गई है। यह प्रतिमा कारगिल युद्ध के प्रतीक के रूप में बनाई गई। टायगर हिल्स पर उनकी वीरगति को याद दिलाती है कि कारगिल युद्ध के दौरान शहीद सरमन सिंह गहरी गहरी खाईओं से घिरी इस टाइगर हिल पर जहां रास्ता ही नहीं था किस प्रकार रास्ता बना करके वह अपनी टोली को लेकर के इस टाइगर हिल के ऊपर बैठे दुश्मनों को मार गिराया एवं टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया और वहीं पर छुपे कुछ घुसपैठियों के द्वारा हैंड ग्रेनेड फेंकने से उनको वीरगति प्राप्त हुई।
प्रतिमा के पीछे एक विशाल दीवार पर 527 शहीदों के नाम लिखे गए हैं लाल पत्थर पर प्रत्येक शहीद का नाम,रेंक ,रेजिमेंट ,यूनिट जिला एवम प्रदेश आदि को कुशल कारीगरों द्वारा उकेरा गया है। साथ ही कारगिल युद्ध कब, कैसे और किन परिस्थितियों में हुआ यह जानकारी भी एक बड़े पत्थर पर उकेरी गई है एवं शहीद सरमन सिंह की शौर्यगाथा भी बड़े पत्थर पर उकेरी गई है। नव निर्मित फव्वारा भी देखा. सन्त प्रवीण नाथ ने कहा कि पड़ोसी देश पाकिस्तान के द्वारा धोखे से थोपे गए इस युद्ध में हमारे रणवीरों ने जिस साहस और पराक्रम से दुश्मनों को धूल चटाई उसकी जितनी प्रसंसा की जाय वह कम ही लगेगी ।
सम्पूर्ण विश्व समुदाय ने इस कारगिल विजय को देखा है और माना है कि भारतीय सेना विश्व की श्रेष्ठत्तम सेना में से है इसके वीर योद्धा अजेय हैं। उन्होंने कहा कि हमारी पीढियां आने वाले समय मे इस स्थान से युद्ध की जानकारी के साथ ही वीरों के शौर्य को भी जान सकेंगे। ज्ञान और शौर्य के संगम स्थल के रूप में यह स्थल जाना जाएगा । इस अवसर पर विहवल सेंगर, सुनील श्रीवास्तव, प्रेम पचौरी, मनोज माहौर, अंशुमान सेंगर आदि उपस्थित रहे।

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