यदि हिन्दू को हिन्दू रहना है तो भारत को अखंड भारत बनना पड़ेगा- डॉ. मोहन भागवत
ग्वालियर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू और भारत अलग नहीं हो सकते हैं। भारत को भारत रहना है तो भारत को हिंदू रहना ही पड़ेगा। हिंदू को हिंदू रहना है तो भारत को अखंड भारत बनना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हिंदू के बिना भारत नहीं और भारत के बिना, हिंदू नहीं। भारत टूटा तो पाकिस्तान बना क्योंकि हम इस भाव को भूल गए कि हम हिंदू हैं, वहां के मुसलमान भी भूल गए। खुद को हिंदू मानने वालों की पहले ताकत कम हुई फिर संख्या कम हुई, इसलिए पाकिस्तान भारत नहीं रहा। सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि ये हिंदुस्तान है और यहां परंपरा से हिंदू लोग रहते आए हैं। जिस-जिस बात को हिंदू कहते हैं उन सारी बातों का विकास इस भूमि पर हुआ है। भारत की सारी बातें भारत की भूमि से जुड़ी हैं, संयोग से नहीं। सरसंघचालक शनिवार को यहां स्वदेश की 50 वर्ष की यात्रा पूरी करने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
डाँ. मोहन भागवत ने कहा कि स्वतंत्रता से पहले जोश की ज्यादा जरूरत थी क्योंकि हमें आजादी प्राप्त करनी थी पर अब हमें जोश के साथ होश की भी जरूरत है, जिससे देश हित में अच्छे काम हो सकें । उन्होनें स्वदेश नाम की व्याख्या करते हुए कहा कि स्व और देश दोनो का महत्व है। हमारी इस भूमि में स्व और देश अलग नहीं है । डाँ भागवत ने वसुधैव कुटुंबकम और देश की एकता व अखंडता पर जोर देते हुए कहा कि हमारा सारा का सारा सांस्कृतिक इतिहास भारत से जुड़ा है। हमारी संस्कृति इस बात की पोषक है कि सम्पूर्ण त्रि-भुवन हमारा देश है । इसलिए तेरा –मेरा का झगड़ा बंद कर सभी लोग अपने मन को विशाल करें । डाँ. भागवत ने कहा स्वबोध की जागृति से दुनिया मे भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है । सम्पूर्ण विश्व अब भारत से नये रास्ते की अपेक्षा कर रहा है ।
समारोह को संबोधित करते हुए डाँ. भागवत ने उपभोक्तावादी संस्कृति और भारत की संस्कृति का अंतर सपष्ट करते हुए कहा कि उपभोक्तावादी संस्कृति दुनिया को ग्लोबल मार्केट बनाने की बात करती है अर्थात बिना स्वार्थ के जुड़े रहने की कल्पना नहीं है । वहीं भारतीय संस्कृति में सत्य समाहित है जो कहता है कि सम्पूर्ण विश्व का अस्तित्व एक ही है । इसलिए एकता को एक करो तभी वास्तविक सुख मिलेगा । भारत ऐसी भूमि है जिसमें सभी की भलाई के लिए सोचा गया ।
विचार और मूल्य आधारित पत्रकारिता का युग शुरू : शिवराज सिंह
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राष्ट्रहित में सूचना देना स्वदेश का वैशिष्ट है। 50 वर्ष की निरंतर यात्रा करना एक बड़ी चुनौती होती है लेकिन स्वदेश ने इसे कर दिखाया। यह ध्येयनिष्ठ पत्रकारिता कि मिसाल है कि विचार आधारित और मूल्य आधारित पत्रकारिता का युग शुरू हो रहा है। मुख्यमंत्री चौहान शनिवार को स्वदेश के स्वर्ण जयंती कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। बतौर मुख्य अतिथि श्री चौहान ने कहा कि एक समय ऐसा भी था जब राष्ट्रहित की बात करने पर सांप्रदायिकता का आरोप लगाया जाता था। कनवर्जन, स्वदेशी, राममंदिर, जम्मू-कश्मीर की धारा 370 की समाप्ति जैसे विषयों को स्वदेश ने बड़ी गंभीरता के साथ पाठकों तक पहुंचाया। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आजादी के बाद वामपंथी विचारधारा ने देश में जड़ें जमा ली थीं। लंबे समय बाद लोगों ने उस विचारधारा को नकारा है। अब जनमानस बदल रहा है। विचारों का वाहक स्वदेश बना है। यही कारण है कि राममंदिर का विरोध करने वाले अब रामधुन गाने लगे हैं। हनुमान चालीसा का पाठ करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े औद्योगिक घराने भी धंधा चलाने के लिए अखबार और टीवी चैनल चला रहे हैं लेकिन अनवरत टिके रहना बहुत कठिन कार्य है
इन्हें किया सम्मानित
समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत नें स्वदेश के वरिष्ठ सदस्य त्रियंबक अन्ना जी काकेड़े व चार दशकों से स्वदेश में कार्यरत अशोक सक्सेना को स्वदेश समूह की ओर से सम्मानित किया ।
समारोह में इनकी रही उपस्थिति
स्वदेश समूह के स्वर्णजयंती समारोह मे जिले के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, ऊर्जा मंत्री प्रदयुमनसिंह तोमर, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार भारतसिंह कुशवाह, सांसद विवेक शेजवलकर, पूर्व राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा, पूर्व मंत्रीगण श्रीमती माया सिंह, लालसिंह आर्य , पूर्व सांसद अशोक अर्गल व पदमश्री श्रीधर पराडकर सहित अन्य वरिष्ठ नागरिक उपस्थित रहे । अंत में प्रांशु शेजवलकर ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया कार्यक्रम का संचालन राजेश वाधवानी द्वारा किया गया ।