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ब्रिटिश फायटर जेट बी-35 रिपयर करने आयेंगे 40 इंजीनियर, 21 दिन पहले इमरजेंसी लैडिंग हुई थी

तिरूअनंतपुरम. ब्रिटिश फायटर जेट बी-35 को ठीक करने ब्रिटेन से 40 इंजीनियरों की टीम 5 जुलाई को भारत पहुंच सकती है। टीम फायटर जेट में आ रही टेक्नीकल प्रॉब्लम को ठीक करेगी। जिसके बाद यह ब्रिटेन के लिये उड़ान भरेगा। पहले ब्रिटेन की इस टीम को 2 जुलाई को आना था। फायटर जेट 14 जून की रात केरल के तिरूअनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग हुई थी। लैंडिंग के बाद जेट में तकनीकी खराबी आ गयी। जिसकी वजह से यह वापिस नहीं जा सका। जेट 13 दिन से एयरपोर्ट पर ही खड़ा है।
918 करोड रूपये का यह विमान ब्रिटेन की रॉयल नेवी के एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का हिस्सा है। इसे दुनियाभर में सबसे एडवांस्ड फायटर जेट में से एक माना जाता है। एचएमएस के एक्सपर्ट ने बताया था कि जेट को ठीक करने में ब्रिटेन की इंजीनियरिंग की टीम मदद लगेगी।
लाइटनिंग के नाम से मशहूर है F-35 जेट
ब्रिटिश सेवा में लाइटनिंग के नाम से जाना जाने वाला F-35 मॉडल फाइटर जेट का शॉर्ट टेक ऑफ/वर्टिकल लैंडिंग (STOVL) वैरिएंट है जिसे शॉर्ट-फील्ड बेस और एयर कैपेबल जहाजों से ऑपरेट करने के लिए डिजाइन किया गया है। F-35B पांचवीं पीढ़ी का एकमात्र लड़ाकू जेट है जिसमें छोटी उड़ान और वर्टिकल लैंडिंग की कैपेसिटी है। जो इसे छोटे डेक, साधारण ठिकानों और जहाजों से संचालन के लिए आदर्श बनाती हैं। F-35B को लॉकहीड मार्टिन कंपनी ने डेवलप किया है। इस प्लेन को 2006 से बनाना शुरू किया गया था। 2015 से यह अमेरिकी वायुसेना में शामिल है। ये पेंटागन के इतिहास का सबसे महंगा विमान है। अमेरिका एक F-35 फाइटर प्लेन पर औसतन 82.5 मिलियन डॉलर (करीब 715 करोड़ रुपए) खर्च करता है।

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