MP में बैंकों से ऋण मंजूर नहीं होने पर अधिकारियों का मार्च का वेतन रोका
भोपाल. चुनावी साल में राज्य सरकार हितग्राहीमूलक योजनाओं को लेकर गंभीर हो गई है। ये बारीकी से देखा जा रहा है कि किसी बहाने से हितग्राही को योजना के लाभ से वंचित तो नहीं रखा जा रहा है। हाल ही में मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना को लेकर कार्यवाही सामने आई है। सरकार ने ऐसे 20 जिले चुने हैं, जिनमें बैंक इस योजना के अंतर्गत हितग्राहियों को ऋण देने में आनाकानी कर रहे हैं। ऐसे जिलाें में जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के अधिकारियों और कर्मचारियों पर गाज गिरी है। इनके मार्च के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी गई है।
दस्तावेजों में कमी तो किसी और बहाने से बैंक ऋण देने से बच रहे
शासन ने साफ कहा है कि योजना के अंतर्गत जिन जिलों में ऋण स्वीकृत और वितरण की उपलब्धि 17 मार्च की स्थिति में 25 प्रतिशत से कम है, वहां उद्योग संचालनालय की अनुमति के बाद ही वेतन का भुगतान किया जाए। शिक्षित युवाओं को स्वयं का उद्यम लगाने या स्वरोजगार स्थापित करने के लिए राज्य सरकार मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के अ्रतर्गत बैंकों से कोलेटरल फ्री (तय अवधि के लिए ब्याज मुक्त) ऋण दिलाती है। इसके लिए बैंकों को निर्देश दिए जा चुके हैं, पर दस्तावेजों में कमी तो किसी और बहाने से बैंक ऋण देने से बच रहे हैं। वर्तमान वित्त वर्ष में ऐसे 20 जिले सामने आए हैं, जिनमें लक्षित संख्या के 25 प्रतिशत आवेदकों को भी ऋण नहीं दिया गया है। ऐसी स्थिति में जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को ऋण दिलाने के प्रयास करने थे, जो नहीं हुए। इसलिए मार्च का वेतन रोकने के निर्देश दिए गए हैं।